कोसली विधानसभा सीट पर भाजपा इस मुद्दे पर खुद को कर रही मजबूत

 2009 के परिसीमन से कोसली को मिले जख्मों को भाजपा ने जिंदा किया  


रणघोष अपडेट. कोसली से ग्राउंड रिपोर्ट

कोसली विधानसभा सीट पर चुनाव पूरी तरह से कांग्रेस- भाजपा के बीच में जबरदस्त बन चुका है। एक छोटी सी चूक या कमजोरी किसी भी उम्मीदवार को चंडीगढ़ से रोक सकती है ओर दूसरे का रास्ता आसान कर सकती है। इसलिए एक एक कदम सोच समझकर रखा जा रहा है।

भाजपा उम्मीदवार अनिल यादव ने 2009 में हुए परिसीमन को फिर से जिंदा कर दिया है। भाजपा नेता का दावा है की 2026 में नए सिरे से परिसीमन होने जा रहा है। अगर गलती से कांग्रेस की भूपेंद्र हुडडा वाली सरकार आ गई तो इस इलाके कई टुकड़े कर दिए जाएंगे ताकि भविष्य में यह इलाका मजबूत नेतृत्व करने की क्षमता को भूल जाए। यहा बता दे की 2009 में हुए परिसीमन का सबसे ज्यादा विरोध दक्षिण हरियाणा के तमाम नेताओं ने एक आवाज में किया था। उस समय भूपेंद्र हुडडा मुख्यमंत्री थे। यहां के जनप्रतिनिधियों एवं जागरूक नागरिकों का आरोप था की एक सुनियोजित योजना के तहत प्रत्येक विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्र का गलत तरीके से परिसीमन किया गया है ताकि जातिगत आधार पर  हर समाज पूरी तरह से बिखर जाए ओर यहां की नेतृत्व क्षमता उबरकर सामने नही आए। इस परिसीमन के तहत सालों से चलती आ रही विधानसभाओं को खत्म कर नए नाम से उसका अलग से दायरा बनाया गया। इससे दक्षिण हरियाणा का परपंरागत वोट बैंक कही कम कही ज्यादा बिखरकर रह गया। इससे लोगों में हुडडा सरकार के प्रति गहरी नाराजगी थी। यही वजह है की 2014 के बाद से आज तक कांग्रेस कोसली में आने के लिए तरस रही है। इस बार भाजपा प्रत्याशी अनिल यादव ने इस मुददे को इसलिए जिंदा कर दिया की दो साल बाद फिर परिसीमन होने जा रहा है। इसलिए वो हुडडा वाली कांग्रेस को हराने के लिए पुराने घावों को ताजा कर रहे हैं। इसमें वे कितने सफल हो पाते  हैं यह आने वाला रजल्ट बताएगा इतना जरूर है की इस मुद्दे में करंट जरूर नजर आ रहा है।