नारनौल सीट पर खत्म होने लगा भाजपा की जीत का भ्रम

भारती सैनी, कमलेश सैनी की खामोशी भाजपा के लिए घातक


  सैनी समाज में जबरदस्त बिखराव,


रणघोष खास. नारनौल से ग्रांउड रिपोर्ट

हरियाणा के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह ने नारनौल विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत को मजबूत करने के लिए टिकट नही मिलने से  नाराज चेयरमैन भारती सैनी का नामाकंन तो वापस करा दिया लेकिन स्थिति सुधरने की बजाय तेजी से बिखरती जा रही है। समाज में अलग अलग वजहों से बिखराव की स्थिति बन चुकी है। इसकी वजह भाजपा उम्मीदवार ओमप्रकाश के खिलाफ सैनी समाज में तेजी से बढ़ता आक्रोश है। भारती सैनी अभी भी हमलावर है। इससे पूर्व चेयरमैन कमलेश सैनी ने ओमप्रकाश के खिलाफ पहले ही मोर्चा खोला हुआ था। इस बार के चुनाव में समाज को विश्वास था की लगातार दो बार विधायक बनते आ रहे ओमप्रकाश की कार्यप्रणाली और व्यवहार को देखते हुए उन्हें टिकट नही देगी और बाहुल्य सैनी समाज को अवसर दिया जाएगा। इसका पूरा भरोसा भी हाईकमान से मिल रहा था। लेकिन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपने समर्थक ओमप्रकाश को तीसरी बार आसानी से टिकट दिलाने में सफल हो गए। जिसके खिलाफ भारती सैनी ने आजाद उम्मीदवार नामाकंन भर दिया। डैमेज कंट्रोल करने के लिए हाईकमान ने सीएम नायब सैनी को मनाने के लिए भेजा और उनका सम्मान करते हुए भारती ने नामाकंन वापस ले लिया जबकि समाज का एक बड़ा धड़ा इसके खिलाफ था। नारनौल   सैनी समाज की हमेशा परपंरा रही है की जो सर्वसम्मति से निर्णय ले लिया उसे बदला नही जाता। लेकिन भारती सैनी के मामले में समाज को पीछे हटना पड़ा। समाज के लोगों का कहना है की ओमप्रकाश ने मंत्री रहते हुए पिछले दस सालों में समाज से बने चेयरपर्सन को ठीक तरीके से कार्य तक नही करने दिया। वे निजी तौर पर समाज से रंजिश करते आ रहे थे लेकिन यहा राव इंद्रजीत ने चतुराई से ओमप्रकाश को टिकट दिला दी और समाज को मनाने के लिए सीएम सेनी को भेज दिया। कायदे से उन्हें सैनी समाज  के बीच में आना चाहिए था।

 इस वजह से कांग्रेस से राव नरेंद्र सिंह पहले से ज्यादा मजबूत

 इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व मंत्री राव नरेंद्र सिंह मौजूदा स्थिति में बेहद मजबूत नजर आ रहे हैं। इसमें कोई दो राय नही की भारती सैनी ने बेशक नामाकंन वापस ले लिया लेकिन भाजपा प्रत्याशी से दूरियां पहले से ज्यादा बनी हुई है। सैनी समाज अब  यह भी कहने लगा है की चुनाव के बाद अगर भाजपा की सरकार आती है तो इस बात की गांरटी नही की  सीएम नायब सैनी ही  बने रहेंगे। जिस तरह बतौर सीएम उनका पूरे प्रदेश में रूठने मनाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। वह उनकी गरिमा के अनुरूप नही है। जब दक्षिण हरियाणा से सीटें ही राव इंद्रजीत सिंह के इशारे पर दी गई है तो राव की जिम्मेदारी बनती है की वो रूठो को मनाए। उल्टा वे खुद जगह जगह अपनी सीएम की दावेदारी पेश करते हुए नजर आ रहे हैं। अगर यहा से राव के समर्थक जीत गए तो वे सरकार को चलने नही देंगे ओर चालाकी से जन भावनाओं के खिलाफ जाकर अपना राजनीति खेल करेंगे जो उन्होंने टिकट के समय किया है। समाज में यह चर्चा जोरों पर है की   नायब सैनी का समाज के नाम पर जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। जिस तरीके से हर जिले से सीएम की दावेदारी की आवाज उठ रही है। उससे नही लगता की वे सैनी समाज के व्यक्ति को सीएम पद पर टिकने देंगे। इसलिए बहकने की बजाय समझदारी से निर्णय लेने होगा। समाज में इस बात में भी गुस्सा है यहां के विधायक ओमप्रकाश ने बतौर 10 साल मंत्री रहते हुए समाज को कुछ नही समझा। आगे क्या करेगा। यह समाज को समय रहते समझ लेना चाहिए।