केरल के एर्नाकुलम में रविवार को हुए सिलसिलेवार धमाकों (Kerala Blast) से पूरा देश चौंक गया. वहीं फॉरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा विस्फोट स्थल के विश्लेषण से पता चला है कि इन धमाकों की जिम्मेदारी लेने वाले डोमिनिक मार्टिन ने देसी बम बनाने के लिए पटाखे, दोयम दर्जे के विस्फोटक और लगभग 7 से 8 लीटर पेट्रोल का इस्तेमाल किया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बम को विस्फोट करने के लिए एक रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम और एक मोबाइल का उपयोग किया गया था. जिसका मतलब है कि मार्टिन धमाके के समय घटनास्थल से करीब 400 से 500 मीटर की दूरी पर ही रहा होगा. इन निष्कर्षों को केरल पुलिस और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के जांचकर्ताओं के साथ साझा किया गया है.
आतंकवाद निरोधक दस्ते के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह एक ‘सुतली’ बम था, जिसे पटाखों और पेट्रोल से विस्फोटकों का उपयोग करके इकट्ठा किया गया था, ताकि इसे एक आग लगाने वाला उपकरण बनाया जा सके, जिससे कन्वेंशन सेंटर में आग लग जाए. इस धमाके का मकसद अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाना था.’ उन्होंने आगे बताया कि इसमें मोबाइल फोन कॉल को एक रेडियो-फ़्रीक्वेंसी ट्रिगर सिस्टम के रूप में इस्तेमाल किया गया, लेकिन ऐसे उपकरणों की रेंज आमतौर पर कम होती है, इसलिए इलेक्ट्रिक चार्ज को पूरा करने और आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) को ट्रिगर करने के लिए मार्टिन को कॉल करने के लिए वहां मौजूद रहना पड़ा होगा.’
मालूम हो कि तीन दिवसीय ‘यहोवा के साक्षी’ के सम्मेलन के अंतिम दिन रविवार को सुबह करीब साढ़े नौ बजे कोच्चि के पास कलामासेरी में ज़मरा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र में हुए विस्फोट से अब तक 12 वर्षीय लड़की सहित तीन लोगों की मौत हो गई है. यह एक ईसाई समूह है जिसके केरल में कुछ लाख अनुयाई हैं. मार्टिन ने बम विस्फोट की जिम्मेदारी लेते हुए और इस समुदाय की शिक्षाओं को ‘राष्ट्र-विरोधी और देशद्रोही’ बताते हुए पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
जांच अधिकारी ने कहा, मार्टिन ने संभवतः इंटरनेट से ‘सुतली’ बम बनाना सीखा. सुतली बम भारत में समारोहों और त्योहारों के दौरान लोकप्रिय हैं, और विस्फोटकों का सबसे आसान उपलब्ध स्रोत हैं. साल 2018 में आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने ISIS आतंकवादी समूह से प्रेरित एक मॉड्यूल का खुलासा किया था, जिसने ऑनलाइन वीडियो देखने के बाद ‘सुतली’ बम बनाने की योजना बनाई थी.