इंफाल. पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से हिंसा से ग्रस्त मणिपुर (Manipur Violence) में शुक्रवार को भीड़ के हिंसक उपद्रव करने की ताजा घटनाएं हुई हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के राजकीय दौरे के हफ्तों बाद हिंसा की ताजा घटना में बिशुपुर के क्वाकटा कस्बे और चुराचांदपुर के कंगवई गांव में स्वचालित हथियारों से 400-500 राउंड गोलियां चलाई गईं. इंफाल में सेना, असम राइफल्स और मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स ने दंगाइयों को इकट्ठा होने से रोकने के लिए आधी रात तक संयुक्त मार्च किया. पश्चिम इंफाल के एक पुलिस थाने से भीड़ ने हथियार लूटने की भी कोशिश की जिसे सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया.
आज मणिपुर में विद्रोह एकता दिवस मनाया जाता है और कर्फ्यू लागू है. इंटरनेट सेवाएं भी ठप हैं. ‘इंडिया टुडे’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंसा की ताजा घटनाओं के बाद विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से शांति की अपील करने और 20 जून को अपने विदेश दौरे पर जाने से पहले मणिपुर में जातीय हिंसा पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाने के लिए कहा है. मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं में बीजेपी नेताओं के घरों पर हमले हुए हैं. केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के घर में आग लगाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को भीड़ ने विधायक बिस्वजीत के घर में आग लगाने की कोशिश की.
भीड़ ने इंफाल में पोरमपेट के पास भाजपा नेता शारदा देवी के घर को भी निशाना बनाया. दोनों ही मौकों पर सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर किया. मणिपुर में 18 जून को विद्रोह एकता दिवस मनाया जाता है. इसके कारण हिंसा बढ़ने की आशंका है. गौरतलब है कि 2001 में 18 जून के आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 18 व्यक्तियों को श्रद्धांजलि देने के लिए विद्रोह एकता दिवस हर साल मनाया जाता है. 2001 के आंदोलन का जिक्र करते हुए कांग्रेस ने शनिवार को पीएम मोदी से शांति की अपील करने का आग्रह किया. कांग्रेस ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री उनके अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते, तो वह विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाएगी.
कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर 22 साल पहले 18 जून, 2001 को भी जल रहा था. विधानसभा, स्पीकर का बंगला, और सीएम सचिवालय को जला दिया गया था और साढ़े 3 महीने तक जाम लगा रहा. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और दो बार सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. गौरतलब है कि मणिपुर में एक महीने पहले मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों के बीच भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है. वर्तमान में राज्य पुलिस बलों के अलावा कानून-व्यवस्था कायम रखने के लिए मणिपुर में लगभग 30,000 केंद्रीय सुरक्षाकर्मी तैनात हैं.
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