Nipah Virus: निपाह वायरस से निपटने के लिए क्या है तैयारी? टेस्टिंग से लेकर संक्रमण के बारे में जानें सबकुछ

निपाह वायरस (Nipah Virus) को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उमड़ घुमड़ रहे होंगे. हालांकि, केरल को छोड़ कर उत्तर भारत सहित पूरे देश में निपाह वायरस का एक भी केस नहीं मिला है. इस वायरस को लेकर अभी तक किसी भी तरह का कोई स्वास्थ्य अलर्ट भी जारी नहीं हुआ है. इसके बावजूद राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में इस वायरस से निपटने की तैयारी पहले से ही मौजूद है. दिल्ली एम्स, आरएमएल, सफदरजंग और एलएनजेपी जैसे बड़े अस्पतालों में जरूरत पड़ने पर टेस्टिंग से लेकर इलाज तक की व्यवस्था है. हालांकि, निपाह वायरस की मौजूदगी का पता लगाने के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान में ही सैंपल भेजे जाते हैं. लेकिन, आरटीपीसीआर टेस्ट या एंटी बॉडी टेस्ट से भी निपाह वायरस की पहचान की जा सकती है.

बता दें कि केरल में निपाह वायरस से दो लोगों की मौत और पांच संदिग्धों की पुष्टि के बाद हड़कंप मचा हुआ है. केरल के कोझिकोड जिले में स्कूल और कॉलेज दो दिनों के लिए बंद करा दिए गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी इससे निपटने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाई है. पिछले दो दिनों से निपाह वायरस को लेकर राजधानी दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में भी सतर्कता तो है, लेकिन अलग से कोई इंतजाम नहीं किया गया है.

निपाह वायरस की पहचान ऐसे करें
देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स, दिल्ली में इस वायरस से निपटने के लिए पहले से ही इंतजाम हैं. दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में टेस्टिंग के इंतजाम नहीं हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर किए जा सकते हैं. डॉक्टरों की मानें तो इसकी टेस्टिंग और इलाज के लिए अलग से कोई खास इंतजाम नहीं करना पड़ता है.

निपाह वायरस की पहचान के लिए जरूरी हैं ये टेस्ट
एम्स दिल्ली में कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने न्यूज 18 के साथ बातचीत में कहा, ‘देखिए ऐसा नहीं है कि निपाह वायरस नया है और इसका पता लगाना मुश्किल है. हां, इसकी जांच के लिए हर जगह टेस्टिंग किट उपलब्ध नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर मंगवाई जा सकती है. इस वायरस का पता एंटी बॉडी टेस्ट से या आरटीपीसीआर से भी हो सकता है. अभी एम्स के माइक्रो बायोलॉजी डिपार्टमेंट में यह किट उपलब्ध है कि नहीं यह मैं नहीं बता सकता हूं, लेकिन एम्स का इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा है.’

निपाह वायरस कितना खतरनाक
डॉक्टरों की मानें तो निपाह वायरस कम संक्रामक, लेकिन ज्यादा खतरनाक माना जाता है. दिल्ली के लोक नायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार कहते हैं, ‘देखिए, दिल्ली सहित उत्तर भारत में निपाह वायरस का एक भी केस नहीं है. लोक नायक अस्पताल में निपाह वायरस की टेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं है. अभी तक सरकार की तरफ से हमारे पास किसी भी तरह का कोई इंस्ट्रक्शन नहीं आया है. यह बीमारी अभी सिर्फ केरल में देखी गई है. मेरे खयाल से पूरी दिल्ली में इस वायरस को लेकर अभी कोई अलर्ट नहीं है.’

निपाह वायरस के ये हैं लक्षण 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो निपाह वायरस से बचाव का एकमात्र तरीका है लोगों को जागरूक करना. यह एक जूनेटिक वायरस है, जो जानवरों के जरिए इंसानों में फैलती है. निपाह वायरस इंफेक्शन के बाद शरीर में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं. इस वायरस के लक्षण इंसानों में 4 से 14 दिनों के भीतर दिखते हैं. निपाह वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. निपाह वायरस के गंभीर लक्षणों में उल्टियां, पेट दर्द, दौरे पड़ना और कोमा में जाना भी शामिल हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में मौत का आंकड़ा 40 से 75 प्रतिशत रहता है.

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इसके संक्रमित के संपर्क में आने वाले लोग जल्दी ही बीमार हो जाते हैं. निपाह वायरस जानवरों से इंसान में प्रवेश करता है. यह वायरस चमगादड़, सूअर, कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों सहित घरेलू जानवरों में पाया जाता है. इस बीमारी में ज्यादातर मरीजों में श्वास संबंधी समस्याएं देखी जाती हैं. साल 1998 में यह वायरस पहली बार मलेशिया में देखा गया था. भारत में यह बीमारी 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में मिली थी. साल 2007 में पश्चिम बंगाल के ही नदिया जिले में यह बीमारी फिर सामने आई. इसके बाद साल 2018 में केरल के कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों में 23 लोगों में निपाह वायरस की पहचान की गई थी, जिसमें बाद में 17 लोगों की मौत हो गई थी.

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