यह राजनीति का असली सच है, स्वीकार कर लिजिए

जिस भाजपा- कांग्रेसियों को टिकट नही मिली, वे रात को आपस में बतियाते हैं


रणघोष खास. ग्राउंड रिपोर्ट

आमजन  की नजर में चुनाव राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र, पक्ष- विपक्ष के आरोप  प्रत्यारोप, जाति ओर धर्म के नाम पर लड़ा जाता है। हम आपको जो हकीकत बताने जा रहे हैं इसकी जानकारी सुनकर आम मतदाता एक पल के लिए हैरान हो जाएगा।

 दरसल इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा में टिकट को लेकर जबरदस्त मारामारी रही। टिकट बंटने के बाद दोनो ही दलों से अनेक मजबूत दावेदार इसे अपने साथ धोखा मानकर अभी तक नही उभर पाए हैं। वे समझ नही पा रहे हैं की आखिर यह कैसे हो गया। जिसे टिकट मिली है वह किसी लिहाज से दावेदारी में नही आ रहा है। इन तमाम परेशानी और  उलझनों के बीच अब जो नई पर्दे के पीछे राजनीति चल रही है वह बेहद दिलचस्प है। जिनकी टिकट कटी उसमें अधिकांश वे भी थे जो जमकर एक दूसरे की खिलाफत करते आ रहे थे। सार्वजनिक तोर  पर राजनीतिक टकराव भी खुलकर सामने  आया। जब इनमें किसी को भी टिकट नही मिली तो अब ये अंदरखाने एकजुट हो गए हैं। संबंध भाई से बढ़कर नजर आ रहा है। इनका मकसद अपनी पार्टी को ही सबक सिखाना है ताकि चुनाव के बाद उसे अहसास हो जाए की यह हरकतें ऊपरी स्तर पर हुई थी जिसे चुनाव में भीतरघात या आत्म सम्मान को लगी चोट से पनपे प्रतिघात से जवाब दिया जा रहा है। यहा मरना उन मतदाताओं एवं समर्थकों का हो रहा है जिसने टिकट से पहले एक दूसरे के विरोधी इन नेताओं के लिए सार्वजनिक तौर पर दूरिया बनाई हुई थी। ओर ये इस बात से अंजान है की  जिसे वे अपना समझते हैं वे रात को उस विरोधियों से भी वार्तालाप करते हैं जिनके खिलाफ वे खुलकर सामने आते रहे हैं। इसलिए आमजन को इस चुनाव में अपने दिलों दिमाग से वोट का प्रयोग करना चाहिए।  नेताओं का अपना निजी एजेंडा होता है ।