रणघोष खास. कुरुक्षेत्र. हरियाणा से
हरियाणा विधानसभा चुनाव में अलग अलग बिरादरी के नाम पर बने संगठनों की खतरनाक राजनीति से भी आमजन को अलर्ट होने की जरूरत है। हर सीट पर यह तस्वीर सामने आ रही है। इन संगठनों के पदाधिकारी कहने को सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदार ओर समझदार नागरिक है लेकिन इनकी भूमिका चुनाव में कई चरित्र से होकर गुजरती है। दिन में समाज के पदाधिकारी किसी उम्मीदवार का कार्यक्रम आयोजित करेंगे। उसका भरपूर समर्थन करेंगे। रात होते ही इन्ही पदाधिकारियों में अधिकांश विरोधी दूसरे प्रत्याशी के घर पर चाय नाश्ता करते हुए नजर आएंगे। एक दो दिन बाद ये पदाधिकारी दूसरे उम्मीदवार के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित कर डालते हैं। इसमें वे पदाधिकारी पर्दे के पीछे रहते हैं जो पहले उम्मीदवार के साथ थे। कहने को सैनी समाज हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सैनी के नाम पर एकजुट होकर भाजपा के साथ नजर आ रहा है। धरातल पर तस्वीर दूसरी नजर आ रही है। समाज के जिम्मेदार नागरिक दिन में फोटो सेशन करवाते हुए सीएम के साथ नजर आएंगे। रात को दूसरे विरोधी प्रत्याशी के साथ मिलकर अलग ही रणनीति पर काम करते हुए दिखेंगे। इस तरह के पदाधिकारियों का अपना निजी एजेंडा होता है जो वे समाज की आड लेकर पूरा करते हैं। इसी तरह वैश्य, ब्राह्माण, पंजाबी, राजपूत समेत अनेक समाज में भी यही नजारा है। सबसे बड़ी बात यह है की चुनाव में समाज के नाम पर कार्यक्रम करने का आधार क्या है। प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्र तौर पर अपने मत का प्रयोग करने का अधिकार है। एक ही परिवार के चार सदस्य अपने अपने विचारों से किसी भी उम्मीदवार को वोट डाल सकते हैं। ऐसे में समाज के नाम पर कार्यक्रम आयोजित कर यह संदेश देना सीधे तौर पर इसलिए तर्क संगत नही है की यह अधिकार किसी को नही है की चुनाव में समाज के नाम पर अपने निजी स्वार्थों के लिए स्वस्थ्य लोकतंत्र व्यवस्था की गरिमा को चोट पहुचाई जाए।