दक्षिण हरियाणा की राजनीति को जन्म देने वाली इस सीट के अपने मायने है..

कोसली की आवाज में लक्ष्मण यादव की मौजूदगी असरदार रही, इसे कैसे नकारे


रणघोष खास. कोसली की कलम से

 कोसली विधानसभा सीट पर मौजूदा भाजपा विधायक लक्ष्मण यादव की मौजूदगी क्षेत्र की आवाज में हमेशा असरदार रहेगी। इसकी तीन वजहे हैं। पहला यह नेता पारिवारिक- सामाजिक और राजनीतिक तौर पर आमजन में बना रहा। क्षेत्रीय एवं कुछ मसलों पर वह बेशक सभी के साथ नजर नही आया। दूसरा कोसली की आवाज को सरकार ओर विधानसभा पटल पर कभी कमजोर नही होने दिया। तीसरा सबसे महत्वपूर्ण दरबारी या किसी के रहमो करम पर चलने वाले नेता की संस्क़ृति या मानसिकता से हमेशा खुद को आजाद रखा।

लक्ष्मण यादव की 2024 में  अगली राजनीति पारी किस दिशा में चलेगी यह तो समय बताएगा। इतना जरूर है की कोसली के प्रत्येक गांवों की चौपाल पर विकास की बात होगी विरोधियों के लिए लक्ष्मण रेखा पार करना आसान नही होगा। बिजली- पानी, सड़क और शिक्षा में लक्ष्मण ने विधायक रहते हुए चंडीगढ़ से बहुत कुछ लाने का काम किया है। इसलिए उनके पास बताने के लिए अच्छा खासा रिपोर्ट कार्ड है। उनके विरोधी भाजपा के अंदर ओर बाहर बराबर है लेकिन वे विकास कराने और व्यवहारिकता में मजबूती से हमला करने में नाकाम साबित रहे। कोसली ऐसी विधानसभा है जो सीधे तोर पर अपने चारों तरफ तीन लोकसभा सीट, रोहतक, भिवानी- महेंद्रगढ़ एवं गुरुग्राम पर कम ज्यादा असर डालती रही है। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से दीपेंद्र हुडडा सांसद के तौर पर विजयी रहे। उन्होंने पिछली बार की भाजपा बढ़त को खत्म किया लेकिन वे भाजपा की लक्ष्मण रेखा को पूरी तरह से लांघ पाने में भी नाकाम रहे। आज भी इस सीट पर भाजपा की जमीन पहले की तरह मजबूत है। इसलिए इस सीट को लेकर भाजपा में कांग्रेस से ज्यादा मजबूत दावेदारी और मारामारी साफ तोर से नजर आईं। इतना जरूर है की इस सीट पर वही उम्मीदवार मजबूत नजर आएगा जिसके रिपोर्ट में कार्ड में बताने को बहुत कुछ होगा ओर वह अपनी हैसियत के साथ जमीन पर खड़ा दिखेगा। दूसरों के आशीर्वाद या रहमों करम से  नजर आने वाले उम्मीदवार की हालत इस बार पानी के  बबुले की तरह होगी। वजह इस बार के चुनाव में जनता समझदार नजर आ रही है ओर उम्मीदवार बहके बहके से..।