आपको कौनसा कोरोना चाहिए, राजस्थानी, दिल्ली या मुम्बई वाला, सब मिलेगा ऑर्डर तो दो..

डंके की चोट पर

रणघोष खास. प्रदीप नारायण : विदेशों से चली कोरोना एक महामारी का नाम था। हमारे  देश में चारों तरफ क्या फैली कि नेताओं ने उसे राजनीति  कैप्सून बनाकर आपस में  बांटना शुरू कर दिया है। कुछ जगह तो  लेने के लिए झगड़े भी गए हैं। वायरस से राजनीति की खुराक बने कोरोना का लेवल अब इतना जबरदस्त बन चुका है कि अगर किसी नेता को हलकी सी खांसी आ जाए तो समझ लिए उसे मीडिया की टॉप खबरों में जगह मिल गईं।

देखा भी होगा सेंपल देने से पहले ही नेता, नामी हस्तियां सोशल मीडिया पर ट्वीट कर बताती है कि उनके शरीर में कोविड-19 के लक्षण महसूस हो रहे हैं इसलिए वे कुछ समय के लिए एंकात में जा रहे हैं। कुछ भी कहो कोरोना ने देश की राजनीति के तमाम मुद्दों को भी पॉजीटिव बनाकर अपने काबू में कर लिया है।

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रेवाड़ी- डंके की चोट पर।

मजाल कोई उसके अलावा अन्य मसलों पर चर्चा करें।  दिल्ली सीएम केजरीवाल व उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच अस्पतालों में इलाज को लेकर चला विवाद इसका  छोटा सा ट्रायल है। अब डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने आंकडों के साथ बता दिया है कि राजधानी में जुलाई तक कोरोना  साढ़े 5 लाख पार कर जाएगा। इस तरह के दावें अनेक राज्यों के नेता भी  अपने हिसाब से कर चुके हैं।

भाजपाईयों वाली सरकारों के राज्यों में कोरोना खुब मचा रहा धूम

ऐसा लगता है कि कोरोना की राज्य स्तर पर राजनीतिक दल के नेताओं से मीटिंग चल रही है कि किस राज्य में उसके असर को कम ज्यादा दिखाना है। जहां भाजपा की सरकारें हैं वहां कोरोना को पीएम नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह के डर से खुद को कम दिखाना पड़ रहा है।  इससे उलट गैर भाजपाईयों वाली सरकारों के राज्यों में कोरोना खुब धूम मचा रहा है।  यहां कोरोना की पांचों उंगली घी में हैं।

ज्यादा बढ़ने पर उसका दबदबा बन रहा है साथ ही  इन सरकारों का पर्दे के पीछे से  समर्थन भी मिल रहा हे।  ये भी  चाहती हैं कि जितने ज्यादा केस दिखाएंगे उसी हिसाब से केंद्र से  विशेष आर्थिक पैकेज की डिमांड करेंगे।

ऐसे में  भाजपा मना करेगी और उन्हें जनता के बीच जाने का मौका मिल जाएगा। चुनाव में भी यह मुद्दा फिर वोटों का गणित बदल देगा। हम सभी ने गौर किया होगा गांव- छोटे शहरों में जब कोरोना पॉजीटिव केस आता है तो उसकी पहचान छिपाई जाती है ताकि उसकी पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस ना पहुंचे।

जैसे ही यह वायरस नेताओं के शरीर में प्रवेश करता है उसकी  सूचना घर- घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारियां तय हो जाती है। सोशल मीडिया पर खबरें ऐसे दौड़ती है मानो ठीक होने वाले नेताओं को कुछ दिनों बाद स्वास्थ्य मंत्रालय मिलने जा रहा हो। इसलिए वे अस्पताल या घरों से भी  रहकर कोरोना से जुड़े अपने अनुभवों को लगातार शेयर करते रहते हैं।

भाजपा नेत्री  एवं टीक टाक स्टार सौनाली फौगाट ने कोरोना का ट्रेंड थोड़ा चेंज किया है जो काफी चल पड़ा है। आने वाले दिनों में कोरोना योद्धाओं की तरीके से डयूटी नहीं करने पर पीटने वाली विडियो देखने को मिल सकती हैं।

इसमें शुरूआत में नेताओं को थोड़ी सी बदनामी ओर आलोचना झेलनी पड़ती है लेकिन  मिली बेशुमार लोकप्रियता से वह खत्म हो जाती हैं। एक नेता का दंबग होना भी बहुत जरूरी है नहीं  सारा श्रेय कोरोना ही लेकर जा रहा था।

मौजूदा हालात को देखकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं

कुल मिलाकर मौजूदा हालात को देखकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। अब यह मसला तेजी से कोरोना और नेताओं के बीच ज्यादा नजर आ रहा है। राजनीति में जगह बनाने  के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं के लिए यह शानदार अवसर है। 

अगर कोई इस महामारी की रिपोर्ट में पॉजीटिव आता है तो घबराए नहीं । आगे आए अपना ओर पार्टी का नाम- पद बताए।  मीडिया में उसे पूरी कवरेज मिलेगी।  जब वह ठीक होकर आए तो सम्मान में जगह जगह कार्यक्रम कराए।

अपने साथियों से प्रचार कराए कि एक युवा जब कोरोना से जंग जीतकर आ सकता है तो वह अपने इलाके लिए क्या कुछ नहीं कर सकता।  युवा तुमआगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ है..। जय  भारत-  जय कोरोना जिसने मुझे पहचान दिलाईं।

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