टिकट काटने के बाद ही कापड़ीवास की अहमियत क्यों पता चलती है..
रणघोष अपडेट. रेवाड़ी ग्राउंड रिपोर्ट
रेवाड़ी विधानसभा सीट पर एक शख्स पूरे चुनाव में अपनी खामोशी से सभी को बैचेन हुए हैं। इसे अपने विश्वास में लेने के लिए सभी प्रमुख प्रत्याशी लगातार परिक्रमा लगा रहे हैं। ये उम्र में बड़े होने की वजह से सभी को आशीर्वाद दे रहे हैं। यहा बात हो रही है पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास की। दो दिन पहले बादशाहपुर में रैली में पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस नेता से अलग से विशेष बातचीत की। 10-12 मिनट की चर्चा में कापड़ीवास ने जो कहना था वह कह दिया ओर शाह ने जो सुनना ओर समझना था वो समझ लिया। अमित शाह ने कापड़ीवास को ही क्यो बुलाया यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। इसका मतलब यह नेता जमीनी हैसियत वाला है जिसके एक इशारे पर हार जीत अपना रास्ता बदल लेती है। अगर यह बात सही है तो इस नेता का टिकट किस आधार पर काटा गया। अगर कापड़ीवास मजबूत दावेदार थे तो उन्हें हाईकमान ने क्या सोचकर अनदेखा किया। जब चुनाव पूरी तरह से फंस चुका है तो अचानक इस नेता की याद क्यों आ रही है। अटेली में कापड़ीवास जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के खिलाफ पूरी तरह से मोर्चा खोले हुए हैं। उससे डरने की क्या बात है जबकि इस सीट से तो कापड़ीवास का कोई संबंध ही नही रहा। इन तमाम बदले घटनाक्रमों से यह तो साबित हो रहा है की कापड़ीवास उम्र की उस अंतिम दहलीज पर पहुंच चुके है जिसका फायदा लेने की बजाय हाईकमान को भाजपा की प्रतिष्ठा बचाने के लिए उसके पास जाना पड़ रहा है। इसका मतलब अपनी लंबी राजनीति यात्रा में इस नेता ने बहुत कुछ ऐसा भी हासिल किया हुआ है जिसे भाजपा भी हासिल नही कर पाई है वह है राजनीति में भरोसा..