दिल्ली सीमा पर डटे किसानों की दूध, पिन्नी से कर रहा खातिरदारी हरियाणा

“जित दूध दही का खाणा वह मेरा देश हरियाणा’ की कहावत चरितार्थ करते हुए हरियाणा के लोग दिल्ली हरियाणा के टीकरी और सिंघू सीमाओं पर दूध, दही, पिन्नी, गजरेला और अन्य खाद्य सामग्री से खातिरदारी कर रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसान यूं तो अपने साथ ट्रैक्टर ट्राली में खूब खाने पीने का सामान लेकर आए हैं लेकिन हरियाणा के किसान इन दोनों राज्यों के किसानों को अपना अतिथि मानते हुए इनके सेवा में दूध ,दही, लस्सी, पिन्नी, जलेबी सहित अन्य पकवान परोस रहे हैं।बहादुरगढ़ के पास दिल्ली जाने के लिए डेरा जमाए बैठे पटियाला के शाहपुर गांव के गरजा सिंह ने बताया हरियाणा के लोग पंजाब काे अपना बड़ा भाई मानते हुए इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। हरियाणा के विभिन्न जिलों से हर रोज हजारों लीटर दूध वह अन्य खाद्य सामग्री धरनास्थल पर पहुंच रही है। इतना ही नहीं आंदोलन के चलते ट्रैक्टर ट्रालियों में ठंडी रातें गुजार रहे किसानों को कम्बल और गरम टाेपियां भी निशुल्क वितरित की जा रही हँ। टिकरी बॉर्डर पर दिए जा रहे धरने में शामिल हरियाणा किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष प्रहलाद सिंह भारु खेड़ा ने बताया यह अब तक का सबसे बड़ा किसान आंदोलन है जिसमें किसानों के पूरे परिवार घरों से उठकर दिल्ली चले आए हैं। उन्होंने कहा कि देश का किसान अब केंद्र सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है। केंद्र सरकार को किसानों के मूड को भांपते तीनों कृषि कानून शीघ्रातिशीघ्र रद्द कर देने चाहिएं। उन्होंने कहा कि आंदोलन की राह पर आगे बढ़े कदम अब वापस नहीं होंगे। उन्होंने दावा किया आठ दिसम्बर का भारत बंद हरियाणा में पूर्णतया कामयाब होगा क्योंकि यह आंदोलन मात्र किसानों का आंदोलन न रहकर कर्मचारी, व्यापारी और केंद्र सरकार से पीड़ित अन्य सभी तबकों का आंदोलन हो गया है।

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