नए साल में कार चालकों को प्रदूषण प्रमाणपत्र की अनेदखी भारी पड़ सकती है। सड़कों पर धुआं उड़ातीं ऐसी कार का पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) रद्द होगा। 10,000 रुपये का जुर्माना पहले ही लागू किया जा चुका है। इसलिए अवधि समाप्त होने से पहले प्रदूषण जांच केंद्र से कार की जांच कराना समझधारी होगा। सरकार ने जांच केंद्रों पर शिकंजा कसते हुए समूची प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। जिससे फर्जी प्रदूषण प्रमाणपत्र हासिल कर बचना आसान नहीं होगा।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 27 नवंबर को इस बाबत ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर हितधारकों से आपत्ति-सुझाव मांगे हैं। इसके दो माह बाद नए कानून और वाहनों की प्रदूषण जांच प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया जाएगा। इस विषय से जुड़े मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रदूषण जांच ऑनलाइन व्यवस्था में प्रदूषण जांच केंद्रों, प्रदूषण प्रमाणपत्र, वाहन मालिक और वाहनों की संपूर्ण जानकारी राष्ट्रीय मोटर वाहन रजिस्टर डाटाबेस में उपलब्ध होगी। इसे अनिवार्य बनाया गया है।
नई व्यवस्था में प्रदूषण जांच केंद्र के कर्मचारी डाटाबेस में कार मालिक का मोबाइल नंबर दर्ज करेंगे। इसके बाद डाटाबेस से एसएमएस के जरिए ओटीपी आएगा। तभी प्रदूषण जांच फॉर्म खुलेगा। डाटाबेस में वाहन बीएस-3, बीएस-4, बीएस-6 मॉडल के अनुसार उत्सर्जन मानक के अनुसार जांच होगी। सभी श्रेणी के उत्सर्जन मानक पृथक होते हैं। तय मानक से अधिक उत्सर्जन होने पर रिजेक्ट की पर्ची निकलेंगी।
इसमें केंद्र हेराफेरी नहीं कर पाएंगे। इतना ही नहीं डाटाबेस में देशभर के प्रत्येक जांच केंद्र का एक क्यूआर कोड है जिसमें केंद्र के उपकरणों की गुणवत्ता, तकनीक और प्रदर्शन की जानकारी होगी। जांच केंद्र उपकरण ठीक नहीं हैं तो प्रदूषण फॉर्म नहीं खुलेगा। अब अधिक प्रदूषण वाले वाहनों का प्रमाणपत्र जारी नहीं कर पाएंगे।
उत्सर्जन की जांच अनिवार्य:
नए नियम में कार की सर्विस और मरम्मत के बाद प्रदूषण जांच केंद्र पर उत्सर्जन की जांच करना जरूरी होगा। सब इंस्पेक्टर-मोटर वाहन इंस्पेक्टर कार की प्रदूषण जांच के लिए इलेक्ट्रॉनिक या लिखित आदेश दे सकता है। इसके सात दिन के भीतर प्रमाणपत्र लेना होगा अन्यथा पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द कर दिया जाएगा। वहीं, व्यावसायिक वाहनों का परमिट भी रद्द होगा।