अब सरसों के तेल ने लगाई आग, सरकार के पास बंपर स्टाक, बाजार में 6000 रुपए किवंटल बिकी, किसानों से खरीदी 4425 रुपए

दीवाली से पहले सरसो तेल 90 रुपए लीटर अब 130 रुपए पार

रणघोष खास.  हरियाणा. रेवाड़ी से


 किसानों के तीन बिलों में पूरी तरह से घिर चुकी भाजपा सरकार के लिए सरसों के तेल में दिन प्रतिदिन हो रही बढ़ोतरी भी आग में घी डालने का काम कर रही है। अप्रैल मई 2020 में सरसों ने किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 4425 रुपए प्रति किवंटल के आधार पर बंपर खरीद की थी। किसानों के लिए यह फसल एक तरह से काला सोना होती है। खरीद को लेकर छुट पुट जगह को लेकर ज्यादा हल्ला नहीं मचा। उस समय सरसों के तेल का मूल्य 85-90 रुपए प्रति लीटर बिक रहा था। दीवाली से 15 दिन पहले सरसों तेल की डिमांड तेजी से बढ़ना शुरू हो गईं। आमतौर पर इस पर्व पर इस तेल की डिमांड बढ़ जाती है। सरसों की बंपर पैदावार होने की वजह से लग रहा था कि तेल की कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी लेकिन हुआ उलटा। सरकार की एजेंसियों ने खरीदी गई सरसों को बजाय डिमांड के आधार पर बाजार में पूरी तरह बेचने के धीरे स्तर पर बेचना शुरू कर दिया है। सरकारी एजेंसी से जुड़े अधिकारियों ने माना कि पिछले साल सरकार को एक हजार रुपए घाटे में सरसों बेचनी पड़ी थी। इस बार सरकार ने भी अच्छी खासी कमाई की है। रेवाड़ी अनाज मंडी में 6000 रुपए प्रति किवंटल बिक चुकी है।   जिसके चलते सरसों तेल में तेजी से बढ़ोतरी हुई 130 रुपए प्रति लीटर कीमत हो गई है। कोरोना काल में इस तेल को स्वास्थ्य के तौर पर सबसे ज्यादा उपयोगी माना गया है। रिफाइंड से ज्यादा इसका उपयोग होने लगा है। ऐसे में तेजी से हो रही बढ़ोतरी के चलते यह सवाल सीधे खड़े हो रहे हैं कि यह सरसों के भाव में तेजी  से बढ़ोतरी करना सीधे तौर पर कहीं अधिकारियों से मिली भगत करके बिचौलिए का बड़ा खेल तो नहीं है। फसल अच्छी होने के बावजूद रेटों में बेहताशा बढ़ोतरी होना सीधे तोर पर सिस्टम पर सीधे सवालिया निशान खड़े कर रहा है।

उधर  विपक्ष को मिल गया सबसे बड़ा मुद्दा, सरकार को घेरा


इस खुलासे के बाद कांग्रेस की तरफ से पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने कहा कि इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है कि सरकार किस तरह  पहले किसानों को न्यूनतम समर्थन के मूल्य पर लूटती है। उसके बाद छोटे व्यापारियों को खरीदने लायक नहीं छोड़ती। पूंजीपतियों के गोदामों में स्टोर करा लेती है। उधर सरकारी गोदामों से भरी सरसों को डिमांड के हिसाब से बाजार में समय पर नहीं उतारती। यह खेल नहीं तो क्या है। सरसों के तेल की कीमत दो माह में 30 से 40 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी होना और सरसों का एकाएक 6000 रुपए प्रति किवंटल से ज्यादा बिकना यह साबित करता है कि यह देश धीरे धीरे पूंजीपतियों के हाथों में जा रहा है। हम इसका  पुरजोर विरोध करेंगे। उधर कांग्रेस के प्रवक्ता एवं पूर्व संसदीय सचिव रण सिंह मान ने भी कहा कि हम पूरी रिपोर्ट बना रहे हैं कि सरसों की अच्छी पैदावार होने के बावजूद सरसों के तेल में एकाएक इतनी तेजी कैसे आ रही है। हैरानी वाली बात यह है कि किसानों की मेहनत और छोटे व्यापारियों पर किस तरह खेल किया जा रहा है।

 

 

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