अमित शाह ने दे दिया जवाब चुनाव से पहले जजपा से BJP ने क्यों तोड़ लिया गठबंधन

हरियाणा में राजनीतिक भूचाल के बीच साढ़े चार साल पुराना भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बनी इसलिए चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया। उन्होंने कहा कि जजपा के साथ हमारा रिश्ता अभी भी खराब नहीं है। हम झगड़ा कर अलग नहीं हुए हैं। हमारे बीच कोई गाली-गलौज भी नहीं हुआ है। भाजपा व जजपा दोनों ही अच्छे मूड में अलग हुए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे।

शाह ने कहा कि जननायक जनता पार्टी की हरियाणा में लोकसभा सीटों की संख्या को लेकर कुछ डिमांड थी, जो हम अपनी पार्टी की व्यापकता और मजबूती को देखते हुए पूरी नहीं कर सकते थे। ऐसे में वह अलग हो गए। अमित शाह ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कामकाज और काबिलियत की तारीफ की। साथ ही उन्हें केंद्र में किसी बड़ी भूमिका में लिए जाने के संकेत भी दिए। उन्होंने कहा की मनोहर लाल कैसे व्यक्ति हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं।

‘मनोहर लाल बहुत ही पुराने कार्यकर्ता’
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि मनोहर लाल बहुत ही पुराने कार्यकर्ता हैं। हमारे अच्छे नेता हैं। उनका उपयोग कहीं भी हो सकता है। हरियाणा में भी हो सकता है और केंद्र में भी। अगर कोई ऐसे आकलन करता है कि चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा या नहीं, यह किसी का दोष नहीं, बल्कि आकलन करने वाले का दोष है। वहीं, शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि गठबंधन सरकार में बतौर उपमुख्यमंत्री उनका अनुभव बहुत अच्छा रहा है और प्रदेश के हित में हमने काम किया है। उन्होंने पूर्व सीएम मनोहर लाल से हुई मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया।

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि लाभ-हानि का फैसला जनता तय करती है, हम नहीं। उन्होंने कहा जजपा का गठन अन्य पार्टियों के फायदे के लिए नहीं हुआ है बल्कि जनता की आवाज उठाने के लिए हुआ है। गठबंधन सरकार में हमने जनता से जुड़े अपने अधिकतम चुनावी वायदे पूरे किए हैं, बुजुर्गों की पैंशन 5 हजार रुपये कराने के लिए हम लोकसभा की सभी 10 सीटें भाजपा के लिए छोड़ने को तैयार थे, लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी और मुख्यमंत्री पद से मनोहर लाल का इस्तीफा दिला दिया। न हमने गठबंधन तोड़ा और न उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, लेकिन सीएम के इस्तीफे से पूरा मंत्रिमंडल अपने आप ही भंग हो गया।