एससी-एसटी आरक्षण उप-वर्गीकरण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुरू कर दी है सुनवाई

रणघोष अपडेट. देशभर से 

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार से एक बेहद अहम मामले की सुनवाई शुरू हुई है। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने एससी-एसटी आरक्षण के भीतर इसके उप-वर्गीकरण की अनुमति पर सुनवाई शुरू कर दी है‌। अगले कुछ दिनों में होने वाली अपनी सुनवाइयों के दौरान यह पीठ इस बात पर विचार करेगी कि एससी -एसटी वर्ग को दिये जाने वाले आरक्षण को क्या विभिन्न उप वर्गों या सब कैटेगरी में बांटा जा सकता है नहीं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अब इस कानूनी सवाल की समीक्षा शुरू कर दी कि क्या राज्य सरकार को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण देने के लिए एससी -एसटी वर्ग के अंदर भी उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। यह संविधान पीठ पंजाब अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग (सेवाओं में आरक्षण) अधिनियम, 2006 की वैधता पर भी सुनवाई कर रही है। इस कानून के तहत पंजाब में एससी यानी अनुसूचित जातियों के लिए सरकारी नौकरियों में तय आरक्षण में मजहबी सिखों और वाल्मीकि समुदायों को 50 प्रतिशत आरक्षण और प्रथम वरीयता दी जाती है। इस वर्ष अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे मामले के बाद यह दूसरा मौका है जब इतनी बड़ी संविधान पीठ किसी मामले की सुनवाई कर रही है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली इस संविधान पीठ में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस सतीश चंद्र मिश्रा, जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं।  7 जजों की यह संविधान पीठ 23 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। जिसमें से पंजाब सरकार द्वारा दायर एक प्रमुख याचिका भी शामिल है जिसमें उसने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले को चुनौती दी है। 

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