रणघोष खास. सुभाष चौधरी
इन दिनों भ्रष्टाचार पर चौतरफा हमला किया जा रहा है। वह लपेट- चपेट दोनों में आ रहा है। कमाल देखिए इतना सबकुछ करने के बाद जिस भ्रष्टाचार को खत्म करने का दावा किया जाता है कुछ दिन बाद उसी की कोख में उसका जन्म हो जाता है। हरियाणा के सहकारिता विभाग व रेवाड़ी नगर परिषद में हुए घोटालों की विजिलेंस जांच से इसे समझा जा सकता है। इन दोनों महकमों में बैठे पदों पर बैठे अधिकारियों को भ्रष्टाचार खत्म करने का जिम्मा दिया गया उल्टा वे ही भ्रष्टाचार से खेलते हुए उसे खूबसुरत बना दिया। रेवाड़ी की नगर परिषद में कई सालों से भ्रष्टाचार का राज चलता आ रहा है। जिसे भी इसे खत्म करने की जिम्मेदारी दी कुछ दिन बाद वहीं भ्रष्टाचार को नए अंदाज में करते हुए नजर आया। नप में पूर्व चेयरमैन एवं अधिकारियों पर मामले साबित हुए। आज तक उन पर आंच नहीं आई है। सभी अपनी जगह इतरा रहे हैं। जो रंगे हाथों पकड़े गए वे अब बहाल होकर भ्रष्टाचार की फाइलों की जांच कर रहे हैं। नप चेयरपर्सन पूनम यादव पर कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव गंभीर आरोप लगा रहे हैं। जब उनके पिता कप्तान अजय सिंह यादव सत्ता में रहे तो उनके समर्थित चेयरमैन भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए । मौके पर सबकुछ साबित भी हुआ। कार्रवाई के नाम पर क्या हुआ कुछ नहीं। इसी तरह सहकारिता विभाग में भ्रष्टाचार का जखीरा बाहर आ रहा है। ईमानदारी से इसे आगे बढ़ाया गया तो सभी का चपेट में आना तय है। ऐसा होगा नहीं। अगर होना होता तो बहुत पहले हो जाता। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार उन्हीं के उजागर हो रहे हैं जिन्हें भ्रष्टाचार नहीं करने का जिम्मा दिया गया था।