कथा वाचक प्रदीप मिश्रा के आने का असर

 23 मार्च तक छल- कपट- झूठ-फरेब रेवाड़ी से गायब हो जाएगा या फिर लौट आएगा..


रणघोष खास. प्रदीप हरीश नारायण

प्रख्यात कथा वाचक प्रदीप मिश्रा सिहोर वाले 23 मार्च  तक हरियाणा के रेवाड़ी शहर मे शिव महापुराण सुनाकर इंसानी शरीर में किसी ना किसी मकसद से कब्जा करके बैठे छल- कपट- झूठ – फरेब को अपने शब्द बाणों से डराकर भगा देंगे या मार डालेंगे। यह 24 मार्च को महापुराण सुनकर वापस रूटीन में लौटने वाली दिनचर्या में किए जाने वाले कर्मो से ही पता चल पाएगा। इतना जरूर है की इस कथा पर भक्तजन अपनी नेक कमाई से करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। जाहिर है पंडित जी का एक एक शब्द डालर से भी महंगा होगा इसलिए पूरी एकाग्रता व शांत भाव से सुनना जरूरी है।  

गृहस्थ जीवन की चार दीवारी में बेहतर इंसान बनने के लिए बड़े बुजुर्गों की नसीहत जब दीवारों से टकरा टकरा कर दम तोड़ देती है उस समय इस तरह का आयोजन का जन्म होता है। फर्क इतना होता है कि सत्संग में कथा वाचक के मुख से निकले एक एक शब्द नहा धोकर सज धरकर पूरी तैयारी के साथ आते है। परिवार में यहीं शब्द रूठने- मनाने के अलग अलग अंदाज में हमारे आस पास टहलते रहते हैं। जिसकी अहमियत घर से किसी सदस्य के चले जाने के बाद महसूस होती है। सोचिए जिसके पास आर्थिक बल है वह शांत जीवन प्राप्ति के लिए सत्संग- कथा के रास्ते उसे लुटाने के लिए तैयार बैठा है। जिसके पास आर्थिक संपन्नता नहीं है वह उसे हासिल करने के लिए इसी सत्संग से रास्ता तलाश रहा है। इन दोनों के बीच संतुलन कब संतुष्टि में बदल जाए। बस इसी संघर्ष को खत्म करने के लिए प्रदीप मिश्रा जी को आना पड़ रहा है। जिस उत्साह व उमंग के साथ घर से कथा सुनने के लिए निकलते हैं। वापसी में वहीं ऊर्जा घर पहुंचकर रूटीन दिनचर्या में बेहतर बदलाव लाती है तो समझ जाइए कथा ने परिवार के अंदर बिछड़ेपन को मिला दिया है।