कर्नाटक में प्रवीण के बाद फाज़िल की हत्या, माहौल तनावपूर्ण

रणघोष अपडेट. देशभर से 

कर्नाटक के मंगलुरू में गुरुवार शाम को फाज़िल नाम के युवक की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई। हत्या का एक सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि मास्क पहने चार हमलावरों ने इस वारदात को अंजाम दिया। फाज़िल की उम्र 25 साल थी। इलाज के दौरान अस्पताल में उसकी मौत हो गई। यह वारदात सूरतकाल इलाके में हुई है।  बता दें कि दक्षिण कन्नड़ जिले में बीजेपी नेता प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद से ही कर्नाटक में सांप्रदायिक तनाव चरम पर है। फाज़िल की हत्या क्यों हुई है इसका पता अभी नहीं चल पाया है लेकिन प्रवीण की हत्या के बाद हुई इस वारदात की वजह से माहौल निश्चित रूप से और तनावपूर्ण हो गया है। जिस वक्त यह वारदात हुई उस वक्त फाज़िल अपने किसी परिचित से बात कर रहा था, तभी हमलावर कार से उतरकर उसकी ओर दौड़े। सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि हमलावरों ने फाज़िल पर रॉड और चाकुओं से हमला किया, जब वह जमीन पर गिर गया तो उसके बाद भी वे हमला करते रहे। पुलिस हमलावरों की तलाश में जुटी हुई है। राज्य के गृह मंत्री अरागा जननेंद्र ने कहा है कि हत्या की घटना के बाद दक्षिण कन्नड़ जिले में भी अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है और जो भी कानून को हाथ में लेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने मुसलिम नेताओं से अपील की है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए वे शुक्रवार की नमाज अपने घरों पर ही पढ़ें। पुलिस ने आम लोगों से किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न देने के लिए कहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कर्नाटक में लगातार इस तरह की हत्याओं को राज्य सरकार क्यों नहीं रोक पा रही है। प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद कर्नाटक में बीजेपी के कई नेताओं ने भी इस्तीफे दिए हैं और कहा है कि सरकार उनकी सुरक्षा नहीं कर पा रही है।

सांप्रदायिक तनाव की कई घटनाएं 

जुलाई के शुरुआती दिनों में ही बगलकोट जिले के केरूर कस्बे में सांप्रदायिक झड़प हुई थी और चाकूबाजी की वजह से दोनों समुदायों के कई लोग घायल हो गए थे। यह लड़ाई झगड़ा तब शुरू हुआ था जब दक्षिणपंथी संगठन हिंदू जागरण वैदिके के कार्यकर्ताओं की एक मुस्लिम युवक यासीन के साथ कहासुनी हुई थी। इसके बाद इलाके में स्कूल-कॉलेजों को बंद करना पड़ा था। हलाल मीट और हिजाब के मामले को लेकर पहले से ही कर्नाटक में तनाव का माहौल बना हुआ है। पिछले साल भर में यहां सांप्रदायिक तनाव की कई घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन सरकार इन पर रोक लगा पाने में फेल साबित हो रही है।

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