सच हुई तो होंगे 1972 जैसे बुरे हालात, हिंट तो मिलने भी लगे
अल नीनो (El Nino) के कारण इस साल देश में सूखे जैसे हालात देखने को मिल सकते हैं.
इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज स्टडीज के निदेशक डीएस पई ने यह चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अल नीनो के कारण मानसूनी बारिश की अवधि औसत से 90 प्रतिशत से कम होने की संभावना है. डीएस पई ने मनीकंट्रोल के साथ चर्चा में कहा कि अल नीनो से जुड़े उच्च तापमान का असर एक साल तक महसूस किया जा सकता है.
डीएस पई ने कहा, “ला नीना के 3 साल बाद इस साल अल नीनो आने की संभावना है. देश में 100 से नीचे बारिश के मामले उस समय थे जब मानसून 90 से नीचे था. इसकी वजह से 1952, 1965 और 1972 में भारत ने सूखे का सामना किया था और अब हम उसी स्थिति का सामना कर रहे हैं.”
भारत और पड़ोसी राज्यों पर हो सकता असर
ला नीना अल नीनो का विपरीत प्रभाव है, जिसमें जलवायु पैटर्न जो प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने के बारे में बताता है. इससे भारत और इसके पड़ोस में बारिश की कमी और सूखे से जुड़ी जानकारी मिलती है. ऐसे में यह चिंताजनक खबर है, क्योंकि भारत में आधी आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है.
गर्मी भी तोड़ सकती है रिकॉर्ड
डीएस पाई ने कहा, “संभावित एल नीनो प्रभाव के कारण एक लंबी शुष्क अवधि देखने को मिल सकती है. अगर अल नीनो सर्दियों में चरम पर होता है और 2024 के वसंत के मौसम में जारी रहता है, तो अगला साल सबसे गर्म हो सकता है. अगर अल नीनो जारी रहता है तो 2024 में रिकॉर्ड तापमान टूट सकता है. देश भर में तापमान बढ़ रहा है.