कितना अच्छा होता स्टेट अवार्डी शिक्षकों के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में पढ़ते..

रणघोष खास. सुभाष चौधरी

हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर हरियाणा सरकार सरकारी स्कूलों में कार्यरत उन शिक्षकों को राज्य शिक्षक अवार्ड से सम्मानित करती है जिन्होंने कड़ी मेहनत- लगन से सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार किया है। एक कठिन और कड़ी मेहनत के बाद यह अवार्ड मिलता है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि पिछले 10 सालों में अभी तक जितने भी शिक्षकों को यह सम्मान मिला है उसमें लगभग सभी शिक्षकों के बच्चे निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते आ रहे हैं। हलवाई अगर अपने बच्चों के लिए मिठाई दूसरी दुकान से मंगवाता है तो समझ जाइए कि वह खुद की मिठाई के प्रति ईमानदार नहीं है।

हमारा उद्देश्य स्टेट अवार्डी शिक्षकों के सम्मान और स्वाभिमान को कमजोर करना नहीं है। मौजूदा व्यवस्था में बनी मानसिकता के सच को सामने लाना है। अक्सर शिक्षा में बच्चों के सामने उदाहरण बनकर या उन्हें किसी का बताकर प्रेरित किया जाता है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को इसलिए याद नहीं किया जाता कि वे देश के राष्ट्रपति एवं मिसाइल मैन रहे हैं। उन्हें इसलिए बार बार याद किया जाता है कि वे खुद में एक उदाहरण के तौर पर एक बेहतर इंसान होने का अहसास कराते रहे हैं। समाज में शिक्षक का सर्वोच्च स्थान रहा है।  खुद में उदाहरण बनने के मामले में सरकारी स्कूलों के शिक्षक कमजोर साबित हो रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं की सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर के गिरने के लिए केवल शिक्षक ही नहीं मौजूदा शिक्षा व्यवस्था जिम्मेदार है।  इसे चलाने वाले और पॉलिसी बनाने वाले भी बराबर के दोषी है। चूंकि शिक्षक बच्चों के लिए शिक्षा का आइना होता है। हर समय वहीं बच्चों को नजर आते है। शिक्षकों के मुख से निकले एक एक शब्द किसी के जीवन को बदलने का अमादा रखते हैं। इसलिए शिक्षकों की जवाबदेही अन्य शिक्षा अधिकारियों एवं पॉलिसी बनाने वालों से ज्यादा रहती है। शिक्षक अवार्ड की परपंरा बेहतर बदलाव का आधार बनती है। बेहतर होगा कि वह कागजों में बनने की वजह खुद में उदाहरण के तौर पर ही नजर आए।

  ऐसे मिलता है राज्य शिक्षक अवार्ड

आवेदक को प्रवेश पत्र के साथ एक पोर्टफोलियो ऑनलाइन ही जमा करना होता है। पोर्टफोलियो में प्रासंगिक सहायक सामग्री जैसे दस्तावेज, उपकरण, गतिविधियों की रिपोर्ट, क्षेत्र का दौरा, फोटो, ऑडियो व वीडियो आदि शामिल होंगे। प्रत्येक आवेदक को एक वचनबद्धता देनी होगी कि उसकी सभी जानकारी या डेटा सही है। यदि बाद में कुछ भी असत्य पाया जाता है तो वह अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा। शिक्षकों के नाम की अनुशंसा सबसे पहले जिला स्तरीय समिति द्वारा ऑनलाइन वेब पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। जिला चयन समिति राज्य स्तरीय समिति को नामों की सिफारिश करेगी। जो नीतिगत मानदंडों के आधार पर शिक्षकों के नामों की राज्य सरकार को अंतिम रूप से सिफारिश करेगी। आवेदक शिक्षक को कम से कम 15 वर्षों का नियमित शिक्षण अनुभव होना चाहिए। वहीं 20 वर्षों के नियमित शिक्षण अनुभव के साथ प्रधानाध्यापक एवं प्राचार्य जिनमें से सीडीसी प्रभार सहित हेडमास्टर या प्रिंसिपल के रूप में कम से कम पांच वर्ष की सेवा जरूरी है। डीईओ, बीईओ, बीईईओ और एससीईआरटी व एसएसए के कर्मचारी और निदेशालय में कार्यरत कर्मचारी इन पुरस्कारों के लिए पात्र नहीं हैं।

 एक लाख रुपए का नगद ईनाम, दो अग्रिम इंक्रीमेंट

पुरस्कार पाने वाले शिक्षक को प्रोत्साहन राशि के तौर पर एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा। जबकि पहले पुरस्कार पाने वाले शिक्षक को 25 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि व दो साल का सेवा विस्तार मिलता था। अब बढ़ी हुई प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ एक रजत पदक, एक प्रमाणपत्र, एक शाल के साथ संपूर्ण भावी सेवा के लिए महंगाई भत्ते के साथ दो अग्रिम वेतन वृद्धियां भी मिलेंगी।

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