किसानों का आरोप- वो नकली संगठन बनाकर ला रहे हैं, RSS का अपना किसान संगठन है उनसे मीटिंग क्यों नहीं हुई?

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। नए कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके किसान अब केंद्र सरकार पर चौतरफा दबाव बनाने की रणनीति बना रहे हैं। इसके लिए दिल्ली-हरियाणा को जोड़ने वाले सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों का नेतृत्व कर रहे किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने मंगलवार शाम कहा कि आज पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई और उसमें यह फैसला लिया गया है कि केंद्र सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव पर कल की बैठक में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 26 जनवरी को भारत आने वाले हैं। हम ब्रिटिश सांसदों को लिख रहे हैं कि वे ब्रिटेन के पीएम को भारत आने से तब तक के लिए रोक दें, जब तक कि किसानों की मांगें भारत सरकार से पूरी नहीं हो जातीं।

जानकारी के अनुसार, दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 27वें दिन भी जारी है। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा किसान संगठन नेताओं के पास रविवार देर रात भेजे गए वार्ता के प्रस्ताव पर संयुक्त मोर्चा की मंगलवार को होने वाली बैठक में फैसला होगा। 32 किसान संगठनों के अधिकांश नेता केंद्र सरकार के उक्त प्रस्ताव को रस्मी मान रहे हैं, लेकिन सरकार के साथ बातचीत करनी है अथवा नहीं, इसका फैसला संयुक्त मोर्चा के नेता सामूहिक रूप से लेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने रविवार को पत्र किसान संगठनों के पास भेजा है, उसमें कुछ भी नया नहीं है। सरकार की ओर से ठोस समाधान का प्रस्ताव आता है तो किसान हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन इस बार भी तीनों कृषि कानूनो के संशोधन पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है, इस पत्र में कुछ भी नया नहीं है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *