किसान आंदोलन को छह महीने पूरे होने पर बुधवार को काला दिवस

किसान आंदोलन को छह महीने पुरे होने पर देशभर में बुधवार को काला दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस बात का ऐलान वक्ताओं ने कितलाना टोल पर चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन धरने को संबोधित करते हुए किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान सभी घरों और धरना स्थलों पर काले झंडे लहराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि देश ने अन्नदाता लंबे समय से तीन काले कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी की गारंटी देने का कानून बनवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आंदोलन में 450 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं। सरकार की बेरुखी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि  जनवरी में 11वें दौर की बातचीत सिरे ना चढ़ने के बाद सरकार ने एक बार भी पहल नहीं की है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान महज चहेते पूंजीपतियों को और मालदार बनाने पर है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के प्रथम चरण में किसानों ने ही देश की अर्थव्यवस्था को संभाला था लेकिन सरकार उनको सहारा देने की बजाए प्रताड़ित करने पर जुटी है। उन्होंने कहा कि किसान और मजदूर के बीच दरार पैदा करने के लिए सरकार अलग अलग पैंतरे आजमा चुकी है लेकिन उसमें कामयाब नहीं हो पा रही है। धरने के 152वें दिन आज खाप सांगवान 40 के सचिव नरसिंह डीपीई, देशराम भांडवा, धर्मबीर समसपुर, प्रताप सिंहमार, रामफल देशवाल, सुभाष यादव, बलबीर बजाड़, संतोष देशवाल, मास्टर राजसिंह जताई, मीरसिंह नीमड़ीवाली ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने हिसार में सोमवार को हुए ऐतिहासिक प्रदर्शन में बढ़चढ़कर भाग लेने पर सभी का आभार जताते हुए कहा कि किसान और मजदूर की एकजुटता ने सरकार को झुकने और निर्दोष किसानों पर बनाये मुकदमे वापिस लेने पर मजबूर कर दिया।            धरने का मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश और रणधीर घिकाड़ा ने किया। इस अवसर पर मास्टर ताराचन्द चरखी, राजसिंह बिरही, सुरजभान सांगवान, गंगाराम श्योराण, सुरेन्द्र कुब्जानगर, रणधीर कुंगड़, कप्तान चन्दन सिंह, शमशेर सांगवान, सुबेदार सतबीर सिंह, जगदीश हुई, सुरेन्द्र कटारिया, कमल सिंह यादव, चन्द्र चमार, सत्यवान कालूवाला, बलजीत मानकावास, जमात अली झोझू, कप्तान रामफल डोहकी इत्यादि मौजूद थे।

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