किसान मोर्चा का ऐलान- केरल और बंगाल में जाएंगी किसानों की टीमें, लोगों से करेंगी बीजेपी को हराने की अपील

केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए किसान नई-नई रणनीति बना रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आज 15 मार्च तक के अपने कार्यक्रमों की घोषणा कर दी है। भारतीय किसान यूनियन के नेता बलबीर सिंह राजेवाल और स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हम पश्चिम बंगाल और केरल में चुनावों के लिए टीम भेजेंगे। हम किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे, लेकिन लोगों से अपील करेंगे कि वो उस पार्टी को वोट दें जो भाजपा को हरा सकती है। हम लोगों को किसानों के प्रति मोदी सरकार के रवैये के बारे में बताएंगे।

15 मार्च तक के कार्यक्रम तय

योगेंद्र यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की आज की बैठक में हमने 15 मार्च तक के कार्यक्रमों को अंतिम रूप दे दिया है। 6 मार्च को जब आंदोलन 100वें दिन में प्रवेश करेगा तो किसान सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे को अलग-अलग स्थानों पर रोकेंगे। यादव ने कहा कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी प्रदर्शन स्थलों पर महिला प्रदर्शनकारियों को आगे रखा जाएगा। 5 मार्च से कर्नाटक में ‘एमएसपी दिलाओ’ आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री से फसलों के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हम लोगों से भाजपा और उसके सहयोगियों को दंड देने की अपील करेंगे जो किसान विरोधी कानून लाए थे। हम चुनावी राज्यों में जाएंगे। यह कार्यक्रम 12 मार्च को कोलकाता में एक सार्वजनिक बैठक के साथ शुरू होगा। 10 ट्रेड यूनियंस के साथ हमारी मीटिंग हुई है। सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों का जो निजीकरण कर रही है उसके विरोध में 15 मार्च को पूरे देश के मजदूर और कर्मचारी सड़क पर उतरेंगे और रेलवे स्टेशनों के बाहर जाकर धरना-प्रदर्शन करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार की तरफ से इस आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास किया गया था। केंद्र सरकार में हरियाणा के जो 3 केंद्रीय मंत्री हैं, उन तीनों केंद्रीय मंत्रियों के उनके गांव में प्रवेश पर रोक लगा दी जाएगी। गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन बीते साल 26 नवंबर से ही जारी है। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। वहीं सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा, लेकिन संशोधन संभव है। बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

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