कृषि कानूनों पर रोक लगने के बाद जारी रहेगा आंदोलन, किसानों ने कहा रद्द ही असली समाधान

तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर बैठे किसान संगठनों ने कहा कि सरकार अथवा सुप्रीम कोर्ट द्वारा नए कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगाने के बावजूद उनका आंदोलन जारी रहेगा। किसान नेताओं ने मामले को संज्ञान में लेने पर सुप्रीम कोर्ट का आभार जताया है, लेकिन उन्होंने कहा कि कानून पर रोक लगाना कोई समाधान नहीं है। किसान संगठन के विधि सेल से सलाह लेने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा बयान जारी करेगा। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से किसानों से बातचीत कर इस मुद्दे को हल करने के लिए कहा है। इसके लिए किसान संगठन कोर्ट का धन्यवाद करते हैं कि कृषि कानून के मसले को संज्ञान में लिया। 15 जनवरी को होने वाली बैठक में सरकार क्या फैसला लेती है, यह देखना होगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कानून लागू होने पर रोक समस्या का समाधान नहीं है। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा के विधि सेल से सलाह ली जाएगी। इसके बाद ही जवाब दिया जाएगा।  भाकियू नेता भोग सिंह मनसा ने कहा कि कानूनों पर रोक लगाने का कोई फायदा नहीं है। हम यहां कानूनों को पूरी तरह से निरस्त कराने आए हैं। हम सुप्रीम कोर्ट से तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की अपील करते हैं। क्योंकि यह कानून संवैधानिक रूप से वैध नहीं है। आंदोलतन तब तक चलता रहेगा, जब तक इन कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता है। वहीं, दर्शन पाल ने कहा कि किसान नेता अपने वकीलों के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद औपचारिक जवाब दिया जाएगा। आंदोलन अभी जारी रहेगा। भाकियू हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अथवा सरकार द्वारा नए कृषि कानूनों पर रोक लगाना कोई समाधान नहीं है। यह कुछ समय के लिए होगा। इसके बाद फिर मामला अदालत चला जाएगा। चढूनी ने कहा कि हम कोर्ट की टिप्पणियों का स्वागत करते हैं, लेकिन प्रदर्शन खत्म करने का कोई विकल्प नहीं है।

 

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