खास रिपोर्ट में जरूर पढ़िए

केजरीवाल और ‘आप’ चारों तरफ से घिरे, भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब कौन देगा


रणघोष खास. देशभर से


भारतीय राजनीति में दो क्षत्रपों अरविन्द केजरीवाल और ममता बनर्जी का विकास भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दा उठाने के बाद हुआ। संयोग है कि दोनों क्षत्रप इस समय भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चारों तरफ से घिर गए हैं और उन्हें जवाब नहीं देते बन रहा है। केजरीवाल और ममता कैबिनेट का एक-एक मंत्री जेल में है। यहां हम सिर्फ केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर बात करेंगे। राजनीति में आरोप लगना नई बात नहीं है। लेकिन केजरीवाल जिस तरह भारतीय राजनीतिक के राष्ट्रीय फलक पर उभर रहे हैं, उससे उनके कामकाज पर न सिर्फ नजर रखी जाएगी, बल्कि उनके हर एक कदम का विश्लेषण भी होगा। यह काम केंद्र सरकार तो कर ही रही है लेकिन मीडिया भी केजरीवाल के कामकाज पर नजर रख रहा है। केजरीवाल के विश्वस्त साथी और कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन इस समय जेल में हैं। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। क्लासरूम बनवाने में कथित घोटाले और दिल्ली की शराब नीति को लेकर केजरीवाल के दूसरे विश्वस्त साथ मनीष सिसोदिया बुरी तरह घिर गए हैं। वो दो-दो जांच का सामना कर रहे हैं। दिल्ली के स्कूलों में क्लासरूम बनवाने में हुई कथित धांधली की जांच का आदेश दिल्ली के लोकायुक्त ने दिया है। शराब नीति को लेकर चुनी हुई कंपनियों को ठेके देने के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिया है। इसी तरह दिल्ली सरकार का ट्रांसपोर्ट विभाग तमाम विवादों में घिरा है। एंटी करप्शन ब्यूरो जांच कर रहा है। केजरीवाल सरकार को बस खरीद मामले में भी जांच का सामना करना पड़ रहा है।

आप की छवि को भारी धक्का

अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी का किला भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण ही ढह सकता है। मनीष सिसोदिया न केवल शिक्षा मंत्री हैं, बल्कि आम आदमी पार्टी के शासन मॉडल का प्रमुख चेहरा और दिल्ली सरकार में सबसे अधिक विभागों को रखने वाले व्यक्ति हैं। इसलिए यह जांच दिल्ली सरकार के काम और आम आदमी पार्टी की छवि पर कहर ढा सकती है।

मनीष सिसोदिया एकसाथ कई जांच का सामना कर रहे हैं। दिल्ली की शिक्षा नीति और क्लास रूम को लेकर केजरीवाल सरकार ने और मनीष सिसोदिया ने बहुत ख्याति बटोरी। लेकिन बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने 2019 में एक शिकायत की थी कि क्लासरूम बनवाने में धांधली हुई है। इसके लिए उन्होंने सिसोदिया पर निशाना साधा। दिल्ली के लोकायुक्त ने इस शिकायत की जांच का आदेश शुक्रवार को दिया। दिल्ली सरकार ने 12782 क्लासरूम बनवाने में 2892 करोड़ का खर्च दिखाया। शिकायत में मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि यह काम 800 करोड़ रुपये खर्च करके हो सकता था। इस तरह इसमें बड़े पैमाने पर केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार किया है। लोकायुक्त ने कहा है कि उन्हें अक्टूबर तक जांच रिपोर्ट मिल जानी जाहिए। वो 10 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेंगे।क्लासरूम बनवाने में दो करोड़ की धांधली का आरोप बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, हरीश खुराना और नीलकंठ बख्शी ने भी लगाया था और अपनी शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो को भेजी थी। एसीबी भी जून महीने से उसकी जांच कर रहा है।

ट्रांसपोर्ट विभाग पर नजर

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने जुलाई में एसीबी को बुराड़ी परिवहन प्राधिकरण में ऑटो-रिक्शा फाइनेंसरों और अनधिकृत डीलरों और दलालों के साथ परिवहन विभाग के अधिकारियों के कथित भ्रष्टाचार और मिलीभगत की जांच करने का निर्देश दिया। राजधानी में ऑटो-रिक्शा और टैक्सी परमिट वहीं से जारी होता है। दिल्ली के ऑटो रिक्शा चालकों की यूनियन ने इसकी शिकायत एलजी से की थी। यहां यह बताना जरूरी है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी ऑटो रिक्शा ड्राइवरों की तमाम यूनियनों के बीच बहुत पॉपुलर है लेकिन वही लोग अब सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। एलजी ने इस मामले की जांच रिपोर्ट एक महीने में मांगी थी। अभी तक यह रिपोर्ट एसीबी दे नहीं पाई है। रिपोर्ट आने पर ट्रांसपोर्ट विभाग की धांधली का पर्दाफाश हो सकता है, जिसके तार ऊपर तक जुड़े बताए जाते हैं। कैलाश गहलोत दिल्ली के ट्रांसपोर्ट मंत्री हैं।

बसों का मामला

इसी तरह बीजेपी नेताओं की शिकायत पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगस्त 2021 में दिल्ली सरकार द्वारा एक हजार एसी बसें खरीदे जाने के मामले की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था। ये खरीद दिल्ली सरकार ने 2020 में की थी। हालांकि दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल अनिल बैजल के एक जांच पैनल ने भी इसकी जांच की और केजरीवाल सरकार को क्लीन चिट दे दी थी। उसने सिर्फ ये कहा था कि खरीद की प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं है। बहरहाल, इस मामले में सीबीआई जांच किस दिशा में आगे बढ़ी और क्या कार्रवाई हुई, उसी समय से खामोशी छाई हुई है। बीजेपी नेताओं ने भी बस खरीद के कथित घोटाले पर चुप्पी साध ली है।

सत्येंद्र जैन का मामला

आम आदमी पार्टी के फाइनेंसर माने जाने वाले मंत्री सत्येंद्र जैन जेल में हैं। केजरीवाल ने उन्हें अभी तक नहीं हटाया है। बंगाल के पार्थ चटर्जी की तरह ईडी ने सत्येंद्र जैन के करीबियों से आभूषण वगैरह बरामद किए थे। सत्येंद्र जैन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने हवाला के पैसे का इस्तेमाल दिल्ली एनसीआर में जमीन खरीदने के लिए किया है। ईडी ने उन्हें 30 मई को गिरफ्तार किया था। उनकी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। ईडी ने जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसके आधार पर दिल्ली की कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ हवाला मामले में मुकदमा चलाने के पर्याप्त सबूत हैं। इस मामले में उनकी पत्नी पूनम, उनके सहयोगी अजीत प्रसाद जैन, सुनील कुमार जैन, वैभव जैन और अंकुश जैन के नाम भी शामिल हैं। हालांकि अजीत जैन और सुनील जैन को जमानत मिल चुकी है।पार्थ चटर्जी को जब ममता बनर्जी ने हटा दिया तो यही सवाल केजरीवाल से भी किया गया, लेकिन उन्होंने चुप्पी साध ली। अब सत्येंद्र जैन बिना विभाग मंत्री हैं। उनके विभाग अन्य मंत्रियों के पास हैं लेकिन उनका मंत्री पद बरकरार है। सत्येंद्र जैन हिमाचल के चुनाव इंचार्ज भी हैं, जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

कब तक टिकेगा केजरीवाल मॉडल 

भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के मुद्दे पर खड़ी हुई आप को दिल्ली में दो बार चुनावी सफलता मिली। लेकिन दूसरी जीत के बाद आम आदमी पार्टी के अंदर कई चीजें बदल गई। आप 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले “काम की राजनीति” के एजेंडे के साथ आई थी। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बिजली, पानी और अन्य क्षेत्रों के विकास में केजरीवाल सरकार द्वारा किए गए कार्यों और उसकी जबरदस्त मार्केटिंग पर यह जीत आधारित है। बाद में पंजाब विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत में दिल्ली सरकार के मॉडल का हाथ बताया गया। लेकिन केंद्रीय एजेंसियों की जांच ने केजरीवाल के विकास मॉडल को तार-तार कर दिया है। केजरीवाल के लिए सिसोदिया महत्वपूर्ण हैं। उनके खिलाफ कोई भी आरोप और जांच शिक्षा मॉडल के खिलाफ सवालिया निशान खड़े करेगी। आप यह बात बखूबी जानती है कि पार्टी की शिक्षा नीति के खिलाफ कोई भी जांच या सवाल केजरीवाल के मॉडल को नष्ट कर देगी।केजरीवाल के कुछ एक्शन कई बार अजीबोगरीब होते हैं। वो सत्येंद्र जैन के साथ खड़े हुए और दावा किया कि जैन ने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। हालांकि, अगर मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों यह आम धारणा पैदा हो सकती है कि स्वच्छ राजनीति करने के केजरीवाल और आप के दावे झूठे हैं। दिल्ली के बाहर भ्रष्टाचार के इन आरोपों से उन राज्यों में पार्टी की छवि खराब होगी जहां पार्टी सत्ता में नहीं है लेकिन चुनाव लड़ रही है।गुजरात विधानसभा चुनाव पर भी इसका असर जरूर पड़ेगा, जहां केजरीवाल ने सीधे पीएम मोदी को चुनौती दी है। दरअसल, वहां मोदी मॉडल बनाम केजरीवाल मॉडल पर चुनाव लड़ा जाने वाला है।

मनीष सिसोदिया का मतलब

केजरीवाल के बाद मनीष सिसोदिया आप के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। केजरीवाल ने जब पार्टी कड़ी की तो उनके आसपास कई लोग थे। लेकिन समय के साथ केजरीवाल की नीतियों के कारण इनमें से अधिकांश लोग उन्हें छोड़ कर चले गए या हटा दिए गए। लेकिन इस भीड़ में एक व्यक्ति जमा रहा। उस शख्स का नाम मनीष सिसोदिया है। पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और केजरीवाल के सबसे करीबी दोस्त के रूप में सिसोदिया को माना जाता है। सिसोदिया कई विवादों के केंद्र में रहें हैं, लेकिन यह पहली बार है जब उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच अभी शुरू नहीं हुई है। लेकिन आप समर्थकों में डर है। सत्येंद्र जैन के मुकाबले मनीष सिसोदिया आप के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक व्यक्ति और प्रचारक हैं। जिन राज्यों में आप चुनाव लड़ने जा रही है, सिसोदिया, जैन, कैलाश गहलोत के खिलाफ आरोपों ने उसे नुकसान पहुंचा दिया है। भ्रष्टाचार के आरोप जिस स्तर के हैं, आम आदमी पार्टी यह कह कर छुटकारा नहीं पा सकती कि बीजेपी जानबूझकर उसे बदनाम कर रही है।

कहां गई ये जांच

बीजेपी 2014 में केंद्र की सत्ता में आई, 2015 में उसने आप के खिलाफ विदेशी फंडिंग की जांच कराई। यह जांच आयकर विभाग ने शुरू की थी। उस जांच का क्या हुआ, उसकी फाइनल रिपोर्ट क्या रही, कोई नहीं जानता। इसलिए केंद्र सरकार की विभिन्न विपक्ष शासित राज्यों के खिलाफ जांच के आदेश नतीजे तक कम ही पहुंच पाते हैं। वो वक्ती इंजेक्शन होते हैं। उसकी आड़ में राजनीतिक फायदे उठाए जाते हैं। बहरहाल, आम आदमी पार्टी इस समय भ्रष्टाचार के आऱोपों के कारण संकट में है।

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