ग्रांउड रिपोर्ट: रणघोष में पढ़ते रहिए हरियाणा में बदलती राजनीति

भूपेंद्र यादव जितनी तेजी से हरियाणा में सक्रिय होंगे, राव इंद्रजीत उतनी रफ्तार से दूर होते चले जाएंगे


रणघोष खास. प्रदीप नारायण

एक म्यान में दो तलवार राजी खुशी नहीं रह सकती। दक्षिण हरियाणा में भाजपा की राजनीति ने कुछ इसी अंदाज में रफ्तार पकड़ ली है। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के लिए लंबे समय पार्टी तक बने रहना अब आसान नहीं होगा। उनकी हर मर्ज की दवा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव के तौर पर भाजपा को मिल गई है। इसलिए पंचकूला में भाजपा प्रांतीय परिषद की मीटिंग में जब राव इंद्रजीत कार्यकर्ताओं की अनदेखी का दर्द बयां कर रहे थे उसके तुरंत बाद भूपेंद्र सिंह यादव ने उसी दर्द पर दवा-पटटी कर दी। राव ने कहा मौजूदा हालात में हमारी तीसरी बार वापसी कैसे होगी तो भूपेंद्र यादव का सीधा जवाब था हम तीन साल नहीं 30 साल के लिए भाजपा को हरियाणा में स्थापित करने जा रहे हैं। राव ने सीएम मनोहरलाल की कार्यप्रणाली को कटघरे रखा तो भूपेंद्र यादव ने सीएम को कुशल मजबूत-सफल नेतृत्व की मिशाल बताया। मीटिंग में राव का भाषण पहले रखा गया ताकि भूपेंद्र यादव उनकी हर बात का तोड़ कर दें। यहां बताना जरूरी है कि जब दो माह पहले 16 अगस्त से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव की जन आशीर्वाद यात्रा गुरुग्राम से शुरू हुई उसी समय राव का मिजाज अलग अंदाज दिखाने लग गया था। उनके समर्थकों ने इस यात्रा से दूरियां बनाए रखी। खुद राव बुरी तरह उलझन में रहे। मजबूरी में ऐन वक्त पर भूपेंद्र यादव के साथ अपने घर पर डीनर रखा। भोजन में क्या क्या व्यंजन थे यह बताने की जरूरत नहीं। इतना ही नहीं भाजपा में आने के बाद राव ने अभी तक जितने भी पार्टी के नेताओं एवं पदाधिकारियों की अलग अलग वजहों से खुलकर मुखालफत की थी यह जन यात्रा उन्हें आशीर्वाद देती चली गई थी। पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास विशेष तौर से शामिल है जो अभी तक राव के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। यहां तक की 2019 के विधानसभा चुनाव में जब राव ने अपने समर्थक सुनील मुसेपुर को रेवाड़ी की टिकट दिलवाई तो एक बड़ा धड़ा सीधे तौर पर उनके खिलाफ खड़ा हो गया था। कापड़ीवास पार्टी छोड़कर मुसेपुर के खिलाफ मैदान में उतर गए थे। पीएम मोदी की रैली करने के  बावजूद इसी लड़ाई के चलते रेवाड़ी से भाजपा को यह सीट गंवानी पड़ी। इतना सबकुछ होने के बाद जिस तरह भूपेंद्र सिंह यादव ने यात्रा में कापड़ीवास को गर्म जोशी के साथ गले लगाया। साफ जाहिर हो रहा था कि राव अब भाजपा के लिए असरदार  नहीं रहे। रही सही कसर राव ने खुद  23 सितंबर को गांव पटौदा के शहीद सम्मान समारोह में पार्टी के नेतृत्व एवं कार्यप्रणाली पर ताबड़ तोड़ हमले से पूरी कर दी थी। इसके साइड इफेक्ट तीन दिन पहले पंचकूला परिषद की मीटिंग में नजर आए जब राव ने बोलना शुरू किया तो मंच से सीएम इधर उधर चले गए। हरियाणा के हर कोने से आए जिम्मेदार कार्यकर्ता यह नजारा देख रहे थे। मीटिंग के अंत में सीएम ने भूपेंद्र यादव को भविष्य का नेता बताकर इशारा साफ कर दिया कि राव इंद्रजीत चाहे तो अपनी अलग राह पकड़ सकते हैं हमें भूपेंद्र यादव मिल गया है। बता दें कि यह लेख मौजूदा बदलते घटनाक्रम पर है। यह हरगिज नहीं भूलना चाहिए कि पिछले दिनों  केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हरियाणा दौरे पर राव इंद्रजीत सिंह को बेहतरीन नेता बताते हुए अपनी ही पार्टी के अन्य नेताओं को नसीहत दे डाली थी। कुल मिलाकर इतना जरूर साफ हो गया है कि खासतौर से दक्षिण हरियाणा में भाजपा जितनी बाहर से अपनी सरकार के प्रचार प्रसार में ढोल नगाड़ा बजाते हुई नजर आएगी पार्टी के अंदर गुटबाजी एवं बिखराव का सन्नाटा भी साफ नजर आएगा।

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