चुनाव शहर की सरकार का : धारूहेड़ा में चौंकाने वाले होंगे परिणाम

 जो हवा में हैं वो जमीन पर नहीं, जो जमीन पर वो हवा में नहीं


 रणघोष अपडेट. वोटर की कलम से


21 हजार वोटों वाली नगर पालिका धारूहेड़ा में चेयरमैन बनने के लिए 10 दावेदार कड़ाके की ठंड में पसीना बहा रहे हैं। मतदाता हैरान है और खुश भी। पहली बार प्रत्याशियों को जीताने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर विधायक और अनेक दिग्गज आ रहे हैं। चुनाव छोटा- बड़ा नहीं होता है यह आदर्श सोच है लेकिन मतदाता अब इतना जागरूक हो चुका है कि वह शोर में भी अपने इरादों को जाहिर नहीं होने दे रहा है। रणघोष ने धारूहेड़ा में अलग अलग तबकों से 100 लोगों से बातचीत की। तस्वीर काफी हद तक सामने आ गईं। पहला मतदाता खुलकर सामने नहीं आ रहा है। किसी भी उम्मीदवार या दल को लेकर ऐसा माहौल भी नहीं है जिसमें वह खुलकर अपनी बात कर सके। जो ज्यादा शोर मचा रहे हैं, शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। पैसो को चुनावी की सबसे बड़ी ताकत मानकर दावा ठोंक रहे हैं वे अच्छा खासा झटका खा सकते हैं। जो खामोश है बिना हल्ला मचाए वोटरों से मिल रहे हैं उनका गणित सही तैयार हो रहा है। इसलिए इस सीट पर कोई साधारण बिना चर्चित चेहरा चेयरमैन बन जाए तो हैरानी की बात नहीं होगी। यहां के मतदाताओं के पास सबका बायोडाटा है। उन्हें पता है कौन चुनाव में बाजीगरी कर रहा है और कौन असल में बात रख रहा है। 10 प्रत्याशियों में 8 पूरी तरह से सक्रिय है दो नजारा देखकर ही खुद को संतुष्ट कर रहे हैं। धारूहेड़ा चुनाव की समीक्षा करने वालों का मानना है कि जिसके पास 3-4 हजार वोटों का हिसाब बन गया वह बाजी मार ले जाएगा। वजह 21 हजार वाली इस सीट पर ज्यादा से ज्यादा 16-17 हजार के आस पास वोटिंग होने की संभावना है। 8  प्रत्याशियों में चार- पांच ऐसे हैं जो साम दंड भेद से 1500 से 2000 हजार वोट हासिल करने की हैसियत रखते हैं। ऐसा भी नहीं है कि जीत के लिए वोटों पर पैसो की बोली लगेगी। इसमें  दो-तीन उम्मीदवार ऐसे हैं जो यह खेल करेंगे जिस पर प्रशासन एवं विजिलेंस की पूरी नजर है। जहां तक उम्मीदवारों के प्रचार के लिए बाहर से आने वाले स्टार प्रचारकों के प्रभाव का सवाल है इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है। ये स्टार प्रचारक बढ़िया- नाश्ता- लंच करके पैकेज वाली खबरों में जगह बनाकर अपनी एक दिन की डयूटी पूरी करके चले जाते हैं। जो उम्मीदवार व्यवहारिक तौर पर रूटीन दिनचर्या में लोगों के संपर्क में रहा है। दुख सुख में शामिल रहा है। वोटर के लिए वह सबसे ज्यादा पंसदीदा है। यहां के मतदाता इस बार  किसी के इशारे पर या प्रभाव से नहीं अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए वोट डालेगा। उसे पता है कि चुनाव के बाद रूटीन में उसका किससे ज्यादा सामना होता है। इसलिए वह चुनावी मौसमी उम्मीदवारों को नमस्कार करने जा रहा है।

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