चुनाव शहर की सरकार का : नगर निकाय चुनाव में यह भाजपा की भूल होगी कि किसान आंदोलन असर नहीं डालेगा

रणघोष अपडेट. वोटर की कलम से


नगर निकाय चुनाव स्थानीय मुद्दों से ही लड़ा जाता है। आमतौर पर राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के मसलों का असर इन चुनाव पर बहुत कम होता है। लेकिन किसान आंदोलन को भी इस लिहाज से देखना भूल हो सकती है। शहर के गली मोहल्लों एवं सेक्टरों में सैकड़ों- हजारों परिवार ऐसे हैं जो ग्रामीण पृष्टभूमि से आते हैं और उनके परिवार के लोग खेती करते हैं। इस आंदोलन का चेहरा बेशक राजनीति के रंग से होकर निखरा हो लेकिन असर कम नहीं हुआ है। चार दिन पहले भारतीय किसान यूनियन समेत कुछ संगठनों ने चुनाव में मतदाताओं से भाजपा- जेजेपी के पक्ष में वोट नहीं करने की अपील करने का अभियान चलाने की योजना बनाई थी। अचानक यह तय हुआ कि वोटर हालातों से अच्छी तरह से वाकिफ है। किसानों के नाम पर अभी तक हर राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसलिए मतदाता ही अपने विवेक से मत का प्रयोग करेंगे वे इस तरह के प्रचार से दूर रहेंगे।  नगर परिषद रेवाड़ी से कांग्रेस उम्मीदवार विक्रम यादव के चुनाव का मोर्चा संभाले हुए पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव लगातार अपने हर भाषण में किसान आंदोलन का जिक्र कर रहे हैं। कप्तान बखूबी समझते हैं कि गांव से शहर बनते हैं ना कि शहर से कोई गांव। इसलिए हजारों वोटर ऐसे भी हैं जिनका सीधा लगाव खेती से है बेशक वे खेती नहीं करते हो लेकिन जुड़ाव मजबूत है। साथ ही किसान अनाज लेकर मंडियों में आते हैं जहां इन दिनों सन्नाटा पसरा हुआ है। आढ़ती भी इस मसले पर गंभीर नजर आ रहे हैं। जबकि भाजपा नेता एवं प्रत्याशी इस मुद्दे को अनदेखा कर रहे हैं साथ ही आजाद उम्मीदवार भी इससे बच रहे हैं क्योंकि उन्हें जीतने के बाद सरकार से तालमेल बनाकर चलना है। हालांकि चुनाव प्रचार में आए मुख्यमंत्री मनोहरलाल, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंहं,  भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, सहप्रभारी अन्नपूर्णा यादव एवं जिले के स्थानीय कोसली विधायक लक्ष्मण सिंह यादव पत्रकारों से बातचीत में  खुलकर इस एजेंडे पर सरकार का पक्ष रखकर इस आंदोलन को विपक्ष की गहरी साजिश बता रहे है। इसके बाद भाजपा चुप्पी साध लेती है जबकि उनके प्रतिद्धंदी इसी मुद्दे में अपना मजबूत वोट बैक देख रहे हैं। इसलिए नगर निकाय चुनाव में किसान आंदोलन मुद्दा नहीं होगा यह भाजपा की रणनीति की भारी भूल हो सकती है। हालांकि रजल्ट आने पर ही तमाम पहलुओं को लेकर तस्वीर साफ होगी। अभी यह विश्लेषण मौजूदा हालात के मद्देनजर सामने आ रहा है।

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