चौधरी छोटूराम से सीख लें मौजूदा सत्ताधारी : किसान

कितलाना टोल पर चौधरी छोटूराम जयन्ती मना रेल रोको कार्यक्रम को लेकर हुई बैठक


चौधरी छोटूराम ने जीवन पर्यन्त किसानों के उत्थान के लिए काम किये। यही वजह है कि आज भी किसान उन्हें अपने मसीहा मानते हैं। उनके ठीक विपरीत मौजूदा सत्ताधारी किसानों के उत्पीड़न पर लगे हुए हैं। यह बात अनेक वक्ताओं ने चौधरी छोटूराम की जयन्ती पर कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने पर उनसे जुड़े संस्मरणों पर रोशनी डालते हुए कही। आज धरने पर महिलाओं की उल्लेखनीय भागेदारी रही। वक्ताओं ने कहा कि किसान की परेशानियों को समझ चौधरी छोटूराम ने मार्किट कमेटियों का गठन कर मंडियां स्थापित करवाई थी। लेकिन आज सत्ता में बैठे लोग उन्हीं मंडियों को उजाड़ने के काम पर लगे हैं।  वक्ताओं ने कहा कि किसानों को एमएसपी मिलने और उन्हें कर्जे के बोझ से निजात दिलाने के साथ पानी के संकट से उबारने के लिए भाखड़ा बांध परियोजना को सिरे चढ़ाने का श्रेय चौधरी छोटूराम को जाता है। उन्होंने कहा कि चौधरी छोटूराम ने यह तय करवाया कि मूलधन से दुगुनी रकम वापिस करने पर ऋणी ऋण मुक्त समझा जाएगा और किसान के दुधारू पशु, ऊंट, रहड़े व घेर की नीलामी नहीं होगी साथ में जो जमीन 1901 से लेकर 1937 तक गिरवी थी उनकी मुफ्त वापसी भी होगी। उनके किये कामों का आज भी उदाहरण दिया जाता है। कितलाना टोल पर 53वें दिन चल रहे धरने की नरसिंह डीपीई, शमशेर फौगाट, मास्टर शेर सिंह, गंगाराम श्योराण, राकेश आर्य, मास्टर राजसिंह जताई, सुभाष यादव, पूर्व सरपंच निर्मला देवी, रत्तन जिंदल ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 18 फरवरी को दोपहर 12 से 4 बजे तक रेल रोको अभियान के बारे में जिला चरखी दादरी की सर्वखाप, किसान, सामाजिक व कर्मचारी संगठनों की एक अहम पंचायत 17 फरवरी को सुबह 11 बजे ढाणी फौगाट के बाबा जोतनाथ धाम ढाणी फौगाट पर होगी।

उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को चरखी दादरी जिले में पातुवास के पास वहीं भिवानी जिले में सिवानी, सुई- प्रेमनगर के बीच, बामला और लोहारू में भावठड़ी के पास दोपहर 12 से 4 बजे तक रेल रोकी जाएगी। धरने का मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश ने किया। आज भी टोल फ्री रहा। इस मौके पर पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रणसिंह मान, ऋषिराम सौरखी, सुरजभान सांगवान, प्रोफेसर राजेन्द्र डोहकी, मास्टर रघुबीर श्योराण, राजू मान, कमल प्रधान, धर्मेन्द्र छपार, सुरेश फौगाट, खजान सिंह सांगवान, सरपंच दलबीर गांधी, दिलबाग ढुल, जयवीर सिंह, रमेश कोच, नरेंद्र सिंह, सुरेंद्र कटारिया, अजित सिंह सांगवान, रिसाल कौर, मुकेश पहाड़ी, कृष्णा सांगवान, किताब कौर, राजेश झोझू, अनिता खान, दलजीत सिंह फौगाट, रोहताश पहलवान, संदीप मित्ताथल, रामकुमार सोलंकी, जमात अली, मास्टर ओमप्रकाश, हवा सिंह बेली धनाना, बबलू बिगोवा, सूबे सिंह रांगी, हवा सिंह रिटायर्ड कमिश्नर, लख्मीचंद, शमशेर सांगवान, सूबेदार सत्यवीर सिंह इत्यादि मौजूद थे।

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