टूलकिट में कुछ भी हिंसक या भड़काऊ नहीं, नहीं बनता है राजद्रोह का मामला

दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा तनबर्ग के जिस टूलकिट को लेकर तीन सामाजिक व पर्यावरण कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है, उसे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज दीपक गुप्ता ने क्लीन चिट दे दी है। उन्होंने कहा है कि इस टूलकिट में कुछ भी आपत्तिजनक, हिंसक या भड़काऊ नहीं है। इसकी सामग्री को राजद्रोह से नहीं जोड़ा जा सकता है। जस्टिस गुप्ता ने से कहा, “देश के हर नागरिक को शांतपूर्ण तरीके से सरकार का विरोध करने का अधिकार है। उन्होंने यह भी कहा कि दिशा रवि और उनसे जुडे़ दूसरे लोगों को गिरफ़्तार करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है।”

कौन है निकिता जेकब?

ग्रेटा तनबर्ग के टूलकिट को शेयर करने वाली निकिता जेकब की जो तसवीर सरकार, पुलिस, सत्तारूढ़ दल और उससे जुड़े लोग पेश करते हैं, सच्चाई उससे अलग है।  30 साल की इस वकील के पास सात साल के कामकाज का अनुभव है। वह सिविल मामले ही लेती हैं और एक साधारण वकील ही समझी जाती हैं। निकिता ने पुणे के आइएलएस लॉ कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की। उन्होंने वरिष्ठ वकील गिरिश गोडबोले के साथ तीन साल काम किया है। गोडबोले ने इंडिया टुडे से कहा, “निकिता ने मेरे जूनियर के रूप में तीन साल काम किया, वह कामकाज में अच्छी थीं। पर हमने यह कभी कल्पना तक नहीं की थी कि किसी दिन आपराधिक मामले में उसका नाम आएगा।” निकिता के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वह आम आदमी पार्टी से जु़ड़ी हुई हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी ने इससे इनकार किया है। पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रीति शर्मा मेनन ने कहा। महाराष्ट्र के बीड में जन्मे शांतनु मुलुक मूल रूप से एअरोनॉटिकल इंजीनियर हैं। लेकिन उन्होंने  इंजीनियर की वह नौकरी छोड़ दी और एक ग़ैरसरकारी संगठन से जुड़ गए। पुलिस का कहना है कि उन्होंने गूगल डॉक्यूमेंट पर टूलकिट बनाने में निकिता जेकब और दिशा रवि की मदद की थी। शांतनु मुलुक के वकील ने कहा है कि पुणे पुलिस ने बीड स्थित उनके घर पर छापा मारा है और उनके माता-पिता को बेवजह परेशान किया जा रहा है। मुलुक किसानों के मुद्दे पर पहले भी काम करते रहे हैं और उन्हें लेकर चिंतित रहे हैं। शांतनु के पिता ने कहा है कि मुलुक पर्यावरण सरंक्षण पर काम करते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि उनके परिवार को जानबूझ कर और बेवजह परेशान किया जा रहा है। दिल्ली पुलिस के ज्वायंट कमिश्नर प्रेम नाथ ने कहा है कि शांतनु मुलुक के साथ हुई ज़ूम बैठक में बात की गई थी कि ‘ग्लोबल डे ऑफ़ एक्शन’ 26 जनवरी को ‘ग्लोबल फ़ॉर्मर स्ट्राइक’ के लिए टूलकिट बनाने के लिए क्या और कैसे किया जाए। पुलिस का कहना है कि शांतनु मुलुक 26 जनवरी के पहले टिकरी बॉर्डर पर किसानों के सम्मेलन में भी मौैजूद थे।

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