छठे चरण की वोटिंग के बाद कहां खड़ी है भाजपा, पंजाब में क्या है हाल; जानें भगवा कैंप का मिजाज

भीषण गर्मी और पिछले चुनाव की तुलना में कम मतदान के बावजूद भाजपा न केवल अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है बल्कि पिछले रिकॉर्ड को तोड़ने की भी उम्मीद लगाए है। छठे चरण का मतदान पूर्ण होने के बाद पार्टी अब सातवें और आखिरी चरण की तैयारी में जुट गई है। इस चरण में भाजपा की कोशिश अपने सबसे कमजोर राज्य पंजाब में ज्यादा लाभ हासिल करने की है। यहां पर विपक्ष बिखरा हुआ है, दूसरी तरफ भाजपा ने आधे से ज्यादा सीटों पर दूसरे दलों से आए नेताओं पर दांव लगाया है। छठे चरण के साथ लोकसभा की 486 सीटों के लिए मतदान का काम पूरा हो गया है। इसमें एक सीट सूरत भी शामिल है, जहां से भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध चुना गया है। बाकी बची 57 सीटों के लिए एक जून को वोट डाले जांगे। इसमें उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट भी शामिल है, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में भाजपा को इस चरण में भी काफी उम्मीदें हैं।

सूत्रों के अनुसार, भाजपा सबसे ज्यादा कोशिश पंजाब को लेकर कर रही है जहां विपक्ष में घमासान है। यह भाजपा का सबसे कमजोर राज्य है। इसलिए पार्टी को उम्मीदवार बनाने के लिए भी दूसरे दलों से और कुछ विशिष्ट लोगों पर दांव लगाना पड़ा है।

पंजाब में लंबे समय के बाद अकेले चुनाव लड़ रही भाजपा
भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़ा है, लेकिन पंजाब में एक-दूसरे के विरुद्ध चुनाव लड़ेंगे। साथ ही बसपा-अकाली दल भी चुनाव मैदान में होगा। ऐसे में चतुष्कोणीय संघर्ष में उसके लिए काफी उम्मीदें हैं। अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा यहां पर लंबे समय बाद अकेले लड़ रही है। पूरे पंजाब में उसके पास जमीनी संगठन भी उतना प्रभावी नहीं है, जो चुनाव जीतने के लिए होना चाहिए। ऐसे में भाजपा की उम्मीदें दूसरे दलों के आपसी संघर्ष पर और प्रधानमंत्री मोदी पर टिकी हैं।

भाजपा के लिए नतीजे पहले से बेहतर रहेंगे
भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा कि इस बार पिछली बार की तुलना में कम मतदान जरूर हुआ, लेकिन भाजपा के लिए नतीजे पहले से भी बेहतर रहेंगे। इसकी वजह बिखरा और मुद्दाविहीन विपक्ष है, जिसका एकमात्र एजेंडा मोदी को हटाना रहा। पार्टी ने अभी तक के चुनाव के जो आंकड़े जुटाएं हैं, उनको लेकर वह काफी आश्वस्त है। भाजपा का दावा है कि छह चरणों में ही वह अपने लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है और जो कमी रह गई है, उसे आखिरी चरण में पूरा कर लिया जाएगा।