जोशीमठ की तबाही के बाद अब देहरादून पर मंडराया खतरा, महज 90 KM दूर घरों में पड़ीं दरारें, कई जगह जमीन धंसी

Cracks in Homes Now 90km from Dehradun: उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ शहर में बड़े पैमाने पर भूस्खलन (Joshimath Sinking) के बाद देहरादून जिले (Dehradun) के कालसी ब्लॉक के खमरोली गांव और आसपास के इलाकों में दो दर्जन से अधिक घरों में दरारें पड़नें और जमीन धंसने की ताजा घटनाएं सामने आई हैं. यह इलाका राज्य की राजधानी से महज 90 किमी. दूर है. स्थानीय लोगों ने गुरुवार को बताया कि खमरोली गांव के कई घरों में पिछले दिनों दरारें आ गई थीं, जो इस मानसून के मौसम में चौड़ी हो गई हैं. इसके अलावा पजिटिलानी, टिपाउ और सहिया-पाटन में भी जमीन के धंसने की घटनाएं देखी जा रही हैं, जहां सड़कों पर बड़ी दरारें आ गई हैं.

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोगों ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY) के तहत पजिटिलानी और चिबाउ-खमरोली के बीच एक हिस्से में सड़क बनाने के लिए की गई कटाई के काम के कारण खमरोली में दरारें आ गईं. गांव में लगभग 50 परिवार रहते हैं. वहां के एक रहने वाले ने कहा कि ‘इस मानसून में धीरे-धीरे भूस्खलन बढ़ गया और हमने अधिकारियों को इसके बारे में बता दिया है.’ वहीं पीएमजीएसवाई के कार्यकारी अभियंता सुनील कुमार ने बताया कि ‘सड़क काटने का काम पीडब्ल्यूडी द्वारा किया गया था और निर्माण परियोजना पीएमजीएसवाई को सौंप दी गई थी. वहां जमीन के धंसाव की समस्या है और इसकी गहन भूवैज्ञानिक जांच की जरूरत है.’

सुनील कुमार ने कहा कि पीएमजीएसवाई ने कालसी में धंसने वाली सड़कों की मरम्मत के लिए एक बजट का अनुमान तैयार किया है. उन्होंने कहा कि ‘खमरोली, टिपाउ, पजिटिलानी और पाटन में स्थिति बदतर है.’ कालसी की एसडीएम युक्ता मिश्रा ने कहा कि ‘पीडब्ल्यूडी और पीएमजीएसवाई को भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण करना होगा और धंसाव के कारण का पता लगाना होगा.’ दूसरी ओर कर्णप्रयाग, मसूरी के लंढौर और रुद्रप्रयाग जिले के मरोड़ा गांव से भी दरारें फटने और जमीन के धंसने की सूचना मिली है.

 

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