झज्जर कोर्ट के फैसले से 90 साल की मैहर कोर को न्याय मिलने की उम्मीद जिंदा हुईं

रणघोष अपडेट. झज्जर

झज्जर में जेएमआईसी इंदु बाला की कोर्ट से निकले फैसले ने 90 साल की मैहर कौर को न्याय मिलने की उम्मीद को जिंदा कर दिया। कोर्ट ने पुलिस की एफआईआर पर लिखी क्लोजर रिपोर्ट को एक सिरे से खारिज कर दिया जो मैहरकोर की शिकायत पर दर्ज की गई थी। इस निर्णय से पुलिस को अब इस पूरे मामले की नए सिरे से जांच करनी होगी ओर पूर्व में दर्ज एफआईआर के तहत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाना होगा। सुनवाई के दौरान मैहरकौर ने  न्यायधीश के सामने बयान दर्ज कराते हुए कहा था की उसे प्रोपर्टी नहीं न्याय चाहिए। जेएमआईसी इंदु बाला ने इस बुजुर्ग महिला के बयान को अधिवक्ता की मौजूदगी में दर्ज कराया। अलग से आवेदन पत्र भी लिया। पुलिस की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट को साक्ष्य के आधार पर पूरी तरह देखने के बाद उन्होंने उसे खारिज कर दिया। मैहरकोर की तरफ से अधिवक्ता बिजेंद्र कौशिक के मुताबिक आमतौर पर एफआईआर कैसिंल करने के मामले में  पुलिस की अनुशंसा के उलट बहुत कम इस तरह के निर्णय देखने को मिलते हैं। हमारे केस को बेहद ही संजीदगी से देखा गया। पीड़िता मैहरकौर को पूरी बात को रिकार्ड किया गया। इससे अब इस मामले में न्याय मिलने की उम्मीद जागृत हो गई है। हमें भरोसा है की पुलिस प्रशासन भी अब अपनी कार्रवाई न्यायिक और तर्कसंगत पूरी करेगा। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। जेएमआईसी इंदु बाला ने निर्णय सुनाते हुए पुलिस प्रशासन को कार्रवाई अमल में लाते हुए 4 मई 2024 को कोर्ट में रिपोर्ट देने को कहा है।

   मैहरकौर के दिए गए शपथ पत्र पर नजर डालते हैं

 मै मेहर कौर पत्नी श्री स्वर्गीय चरण सिंह  90 वर्षीय अति वरिष्ठ नागरिक हु तथा गांव छपार जिला झज्जर हरियाणा की निवासी हु ,मेरे द्वारा जो  लिखा जा रहा वो सत्य है अतः यह की :-यह की  गांव अहरी ,जिला झज्जर मेरी गांव छपार व अहरी में कृषि योग्य भूमि है जो की मेरे पति व उनके पूर्वज श्री लहरी से उत्तराधिकार में मिली है को  (1) कंवल सिंह (2) श्रीमती गिंदोडी देवी, पुत्र (3) बिजेंदर सिंह, (4) पटवारी भीम सिंह, (5) नसीब सिंह , निवासी गांव  छपार, तहसील झज्जर, जिला झज्जर, हरियाणा ने स्थानीय राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची। धोखे से फर्जी/जाली दस्तावेज/खतौनी यानी उत्परिवर्तन संख्या 3173 दिनांक 27 जुलाई .2021 तैयार की, और यह दर्शाया कि मेरे पति निःसंतान मर गए जबकि चरण सिंह के वारिस जिन्दा है। मैं शिकायतकर्ता मेहर कौर स्वर्गीय चरण सिंह की पत्नी भी ज़िंदा है एवं भृगुदेव की विरासत पहले ही बन चुकी है।उनके चल और अचल संपत्ति के विरासत की पूरी दस्तावेज सरकारी रिकॉर्ड में उपलब्ध है। इस विरासतनामा के दस्तावेज को मेरे पुत्र राजेंदर सिंह डागर ने गांव के सभी नम्बरदार एव मुखिया आदमियों को साक्ष्य के रूप में दे दिए थे। इसके साथ साथ पटवारी भीम सिंह एवं तहसीलदार को भी विरासतनामा के समस्त दस्तावेज उपलब्ध करवाए थे। इसके उपरांत भी किसी भी जांच अधिकारी ने आज तक अपनी रिपोर्ट में भृगुदेव की वसीयत या अन्य किसी भी दस्तावेज का कोई भी जिक्र नहीं किया। उन्होंने न केवल धोखाधड़ी से हिस्सेदारी हड़प ली, बल्कि जाली राजस्व दस्तावेजों यानी म्यूटेशन और जमाबंदी का उपयोग करके उक्त संपत्ति को  पूजा देवी पत्नी संजीत कुमार पुत्र कृष्ण चंद्र निवासी गांव अहरी, तहसील झज्जर, जिला झज्जर को बेच दिया।  21 अप्रैल 2021 नामांतरण संख्या 3131 में यह दर्शित किया गया है की उत्तराधिकार में स्वर्गीय चरण सिंह का वंश शामिल है श्री मति मेहर कौर (पत्नी) ,राजेंदर सिंह (पुत्र) , अजित सिंह (पुत्र)तथा सुनीता (पुत्री) तथा दिनांक 27 जुलाई 2021 नामांतरण संख्या 3173 में स्वर्गीय चरण सिंह का वंश बेऔलाद दर्शित किया गया। बाद में यह कहा जाता है की यह एक सिर्फ लिपिकीय त्रुटि है , इसे सही कर दिया गया है  लेकिन इसी बीच इसे कँवल सिंह के नाम कर के  इसे पूजा देवी के नाम रजिस्ट्री कर दी गयी थी। मैहरकौर ने अपने लंबे चौड़े शपथ पत्र में कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। जिस पर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने भी  दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए अधिकारियों एवं कर्मचारियों को जमकर फटकार लगाई थी की इतनी बड़ी बुजुर्ग को भी न्याय के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है।