डंके की चोट पर : 71 रुपये पेट्रोल पर शोर मचाने वाले 100 पार पर खामोश, यह चुप्पी खतरनाक है इसे तोड़िए

रणघोष खास. देशभर से 


महंगाई डायन खाए जात है…’ 2010 में आईपीपली लाइवफ़िल्म के गाने के इस बोल का तब ख़ूब इस्तेमाल किया जाता था जब यूपीए सरकार में पेट्रोल की क़ीमतें क़रीब 71 रुपये प्रति लीटर तक पहुँच गई थीं। अब सात साल बाद ये क़ीमतें 100 रुपये से ज़्यादा हो गई हैं, लेकिन तो उस तरह का कोई नारा है और ही नारा लगाने वाले। सात साल पहले बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक क़ीमतों पर बात करते थे, पूरी बीजेपी प्रदर्शन करती थी, गैस की क़ीमतें बढ़ने पर सिलेंडर लेकर प्रदर्शन की तसवीरें होती थीं। अब वैसा कुछ नहीं है। सवाल है कि वे अब 100 रुपये से ज़्यादा पेट्रोल होने पर क्या वैसी हायतौब मचा रहे हैं? आख़िर वे अब क्या कह रहे हैं? ये सवाल सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे हैं। सवाल इसलिए कि 100 रुपये से ज़्यादा प्रति लीटर पेट्रोल होने पर भी शोर क्यों नहीं है। इसमें पूछा जा रहा है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में डीजलपेट्रोल और गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने पर बीजेपी ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया था और स्मृति ईरानी गैस सिलेंडर लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतरी थीं। ये सवाल इसलिए भी पूछे जा रहे हैं कि लोग यूपीए सरकार और बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान डीजलपेट्रोल की क़ीमतों की तुलना कर रहे हैं। मोदी सरकार जून 2014 में जब सत्ता में आई थी तब कच्चे तेल की क़ीमत वैश्विक बाज़ार में 93 डॉलर प्रति बैरल थी और उस वक़्त पेट्रोल 71 रुपये और डीजल 57 रुपये प्रति लीटर। अब सात साल बाद कच्चे तेल की क़ीमत 63 डॉलर है यानी पहले से 30 डॉलर सस्ता लेकिन पेट्रोल 100 रुपये के पार और डीजल 80 रुपये प्रति लीटर के पार पहुँच चुका है। ऐसे में अब कोई भी बिना गुनाभाग किए कह सकता है कि ये पहले से महंगा हैं। ट्विटर पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जो लोग उस वक़्त सरकार की इतनी आलोचना कर रहे थे उन्हें अब कितनी आलोचना करनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने दो वीडियो क्लिप को रिट्वीट किया है जिसमें बाबा रामदेव को पेट्रोल की क़ीमतों पर अलगअलग तर्क रखते सुना जा सकता है। 

बीजेपी के जो नेता पहले पेट्रोल की क़ीमतों पर सवाल उठाते रहे थे वे अब या तो सवाल नहीं उठा रहे हैं या फिर क़ीमतें बढ़ाए जाने का समर्थन कर रहे हैं। इसके लिए देशहित जैसे तर्क भी रखे जा रहे हैं। हालाँकि इससे पहले सितंबर 2018 में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि पेट्रोलडीजल के दामों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने दलील दी थी कि अंतरराष्ट्रीय कारणों के चलते डीजल और पेट्रोल की क़ीमतों में वृद्धि हुई है।

बता दें कि देश में पेट्रोल और डीजल के महंगा होने का बड़ा कारण एक्साइज ड्यूटी और दूसरी तरह के टैक्स हैं। यूपीए सरकार और मौजूदा मोदी सरकार की इन टैक्स दरों में भी काफ़ी ज़्यादा अंतर है। यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोल पर 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी थी। मौजूदा स्थिति में पेट्रोल पर सरकार 32.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लगा रही है।

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