डिप्रेशन और बेचैनी को रोकने में मददगार हो सकती है गहरी नींद- शोध

नींद का सेहत से गहरा नाता है. डॉक्टर भी अपने मरीजों को गहरी नींद पर जोर देते पाए जाते हैं और नींद ना आना कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जड़ भी मानते हैं. लेकिन गहरी नींद के सेहत के लाभ पर बहुत गहराई से और विशेष तौर अध्ययन देखने को नहीं मिलते हैं. हाल ही में एक अध्ययन के नतीजों ने सुझाया है कि अच्छी नींद हमारे मानसिक सेहत की डिप्रेशन, बेचैनी, और खास तौर से अत्याधिक तनाव की स्थितियों से जूझने के मामले में दिमागी लचीलेपन को मजबूती प्रदान करने का काम करती है.

हलके में लेते हैं तनाव को हम
अधिकांश लोगों के लिए तनाव हमारे जीवन के एक हिस्से की तरह होता जा रहा है. यह इतना व्यापक और आम होता जा रहा है कि इसी वजह से इसे प्रायः नजरअंदाज भी किया जाता है. और इसके हमारी मानसिक सेहत पर पड़ने वाले ताकतवर और सतत प्रभाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.  जबकि जितना इसे नजरअंदाज किया जा रहा है उतना ही इसका असर बढ़ता जा रहा है.

अवसाद और बेचैनी
यॉर्क यूनिवर्सिटी की अगुआई में हुए शोध में वैज्ञानिकों ने इस बात को रेखांकित किया है कि लंबे समय वाला तनाव बहुत सारे मानसिक स्वास्थ्य विकारों के विकास में एक बड़े कारक के तौर पर काम करता है. इन विकारों में अवसाद और मनोविकारी बेचैनी भी शामिल हैं. आमतौर पर इनकी वजह तनाव होता है और वह लंबे समय तक बने रहने वाला तनाव.

संभव है इनसे निपटना
लेकिन अच्छी खबर ये है कि जिस तरह से हमे अच्छी खुराक और कसरत से शारीरिक सेहत के जोखिमों को कम कर सकते हैं, हमारे पास ऐसे उपकरण है जिसने हमें अपनी मानसिक सेहत पर पड़ने वाले तनाव के प्रभावों को कम कर सकते हैं. यॉर्क के अध्ययन के मुताबिक इनमें से दो उपकरण- बढ़िया गुणवत्ता वाली नींद और तनावपूर्ण हालात में सकारात्मक पहलू देखने जैसे सकारात्मकता का उपयोग करने वाली युक्तियों के उपयोग हैं.

कोविड महामारी के दौर में
इस तरह के संबंधों को गहराई से समझने लिए शोधकर्ताओं ने 2020 में कोविड -19 महामारी के दौरान 600 प्रतिभागियों के आंकड़ों का अध्ययन किया. इस दौर में तनावपूर्ण परिस्थितयों के बहुत सारे हालात बने थे. शोधकर्ताओं ने इस सिद्धांत की पड़ताल करने का प्रयास किया जिसके मुताबिक अच्छी नींद बढ़ाते हुए सकारात्मक देखने के उपाय सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के नतीजे प्रदान कर सकते हैं.

एक मौके का उपयोग
यॉर्क यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग की पीएचडी छात्रा एमा सुलिवन ने बताया कि चूंकि कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में लोगों को तनाव के बहुत लंबे दौर दिए हैं, इसलिए उन्हें और उनके साथियों के लिए यह क शोध के लिहाज से बहुत अच्छा मौका था जिसमें हम अपने सवालों के जवाब खोज सकें.

इस तरह का पहला अध्ययन
यह पहला अध्ययन है जिसमें ऐसे तरीकों की खोजबीन की गई है जिसमें सकारात्क नजरिए की युक्तियां और नींद की गुणवत्ता का अवसाद और बेचैनी पर प्रभाव डालते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 महामारी के शुरुआती महीनों के दौरान बेहतर नींद की गुणवत्ता का संबंध अवसाद और बेचैनी दोनों से था.

कुल मिलकर  शोधकर्ताओं ने पाया कि तनाव के लंबे दौर में सकारात्मक नजरिया रखने और नींद की गुणवत्ता कायम रखने दोनों का ही बहुत ज्यादा प्रभावकारी महत्व है और लंबे तनाव के प्रबंधन में नींद की एक बड़ी अहम भूमिका होती है जिससे अवसाद और बेचैनी दोनों के लक्षण कम होने लगते हैं. अध्ययन के नतीजे याद दिलाते हैं कि मानसिक सेहत के लिए नींद हमारी कितनी बड़ी साथी है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *