विख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ रामनिवास ‘मानव’ को मिले सामानों की सूची में एक सम्मान और जुड़ गया है। डॉ ‘मानव’ का एकल काव्य-पाठ आयोजित कर उन्हें यह अनूठा अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया है कविता को समर्पित संस्था पीएलजी इंटरनेशनल, मस्कट (ओमान) ने। लगभग एक घंटे तक चले इस काव्य-पाठ का फेसबुक पर लाइव प्रसारण किया गया तथा दर्जनों देशों के कवियों, लेखकों और कविता-प्रेमियों ने श्रोता के रूप में इसमें सहभागिता की। इस दौरान डॉ ‘मानव’ ने अपनी प्रतिनिधि कविताओं, दोहों, द्विपदियों, त्रिपदियों तथा हाइकु, तांका और सेदोका कविताओं का पाठ किया, जिन्हें भरपूर सराहना मिली। पीएलजी के अध्यक्ष तुफैल अहमद ने डॉ ‘मानव’ को बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न रचनाकार बताते हुए कहा कि उनका काव्य बहुआयामी है तथा उसमें अपने समय के इतिहास की प्रामाणिक झलक मिलती है। मेडान (इंडोनेशिया) निवासी आईटी पेशेवर तथा पीएलजी के उपाध्यक्ष आशीष शर्मा ने कहा कि डॉ ‘मानव’ सचमुच दोहा-सम्राट हैं तथा उनके दोहे चुटीले और धारदार होने के कारण सीधा प्रहार करते हैं। सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के कुलपति डॉ उमाशंकर यादव ने कहा कि डॉ ‘मानव’ ने काव्य में जितने विधात्मक प्रयोग किए हैं, उतने शायद ही किसी अन्य समकालीन कवि ने किए हों। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार-सभा विश्वविद्यालय, चेन्नई (तमिलनाडु) ने ‘डॉ रामनिवास ‘मानव’ के काव्य का विधायक वैशिष्ट्य’ विषय पर डीलिट् करवाकर इस तथ्य की पुष्टि भी कर दी है।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न विधाओं की छप्पन पुस्तकों के लेखक-संपादक डॉ ‘मानव’ के साहित्य पर अब तक पचास बार एमफिल्, बाईस बार पीएचडी और एक बार डीलिट् हेतु शोध-कार्य संपन्न हो चुका है, वहीं देश के आधा दर्जन बोर्ड़ो और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी इनकी विविध रचनाएं और शोधग्रंथ शामिल हैं। वर्तमान में सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी-विभाग के पद पर कार्यरत डॉ ‘मानव’ अनेक विश्वविद्यालयों से भी जुड़े हैं तथा शताधिक शोधार्थी इनके कुशल निर्देशन में एमफिल्, पीएचडी और डीलिट् की उपाधियां प्राप्त कर चुके हैं। हरियाणवी साहित्य के पुरोधा तथा अधिकारी विद्वान के रूप में प्रतिष्ठित डॉ ‘मानव’ को हरियाणा के समकालीन हिंदी-साहित्य पर प्रथम पीएचडी, प्रथम डीलिट् और ये दोनों उपाधियां प्राप्त करने वाले एकमात्र विद्वान होने का गौरव भी प्राप्त है। विभिन्न भाषाओं में आपकी दस अनूदित कृतियां भी प्रकाशित हो चुकी हैं।