दैनिक रणघोष की सादर अनुरोध के साथ अपील..

कलम उठा लिख डाले माता- पिता की कहानियां, नहीं रहेगा घरों में सन्नाटा


   रणघोष कहानियां लिखने में मदद करेगा, प्रकाशन करेगा। आप हमसे किसी भी समय मोबाइल नंबर 7206492978 पर संपर्क कर सकते हैं। अपनी कहानियों को ranghoshnews@gmail.com पर भेज सकते हैं। हमें आपकी कहानियों का इंतजार है कलम उठाइए जीवन में बेहतर बदलाव के लिए।  


Pardeep ji logoरणघोष खास. प्रदीप नारायण

ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा जब किसी बच्चे के सुसाइड करने की खबरों से घरों में सन्नाटा नहीं पसर रहा हो।  कब तक इन घटनाओं के लिए स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, माता पिता या शिक्षा प्रणाली को जिम्मेदार मानकर आंखों को आंसुओं से धुंधली करते रहेंगे। क्या सदियों से ऐसा होता आ रहा है या कुछ सालों से। इसे समझिए। यह सन्नाटा किसी घर का पता लेकर या बताकर नहीं आता। कब किसके यहां दस्तक देकर पसर जाए पता तक नही चलेगा। दरअसल पिछले कुछ सालों  में हम सभी ने अपने स्वार्थों के लिए अपने बच्चों को बेहतर इंसान बनाने से ज्यादा उसे बाजार में बिकने वाले प्रोडेक्ट की तरह तैयार करने में सभी मर्यादाओं को तार तार कर दिया है। उनके मनो मस्तिक में इंसानी जज्बात की जगह जबरन सोशल स्टेटस ब्रांड की  मशीनों के कल पुर्जे फीट करने शुरू कर दिए हैं। नतीजा देश में हर साल राष्ट्रीय स्तर की होने वाली परीक्षाएं बच्चों का भविष्य तय करने की बजाय मौत का तांडव ज्यादा करती नजर आती है। अब तो हर रोज बच्चो के साथ डर भी बराबर में बैठकर उसके बालपन को निगल रहा है।

 बच्चों में मशीन की जगह बेहतर इंसान, डर की जगह गर्व की अनुभूति हो। इसके लिए दैनिक रणघोष ने चार साल पहले स्कूलों में कक्षा 8 वीं से 12 वीं के विद्यार्थियों से माता-पिता के संघर्ष की कहानी लिखने का अभियान शुरू किया था। जिसमें जिले में राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बावल, गुगोढ़ राजकीय स्कूल, जैन पब्लिक स्कूल समेत अनेक शिक्षण संस्थाएं अभियान की भागीदार बनी। 100 से ज्यादा कहानियों का प्रकाशन अभी तक हो चुका है। इन कहानियों के प्रकाशन का व्यापक असर रहा।  परिवार में माता- पिता- बच्चो के बीच एक बेहतर इंसान बनने का संस्कार घरों में सुगंध की तरह फैला हुआ है।

 दैनिक रणघोष एक बार फिर आप सभी से  बारबांर अपील करता है कि चाहे किसी भी आयु अवस्था में हो अपने माता-पिता की जीवन यात्रा को कहानी के स्वरूप में लिखकर सभी को जरूर सांझा करना चाहिए। इससे माता पिता बच्चों के बीच बेहतर तालमेल, समझ, संघर्ष के मायने, उम्मीदें, इच्छा शक्ति, सम्मान व स्वाभिमान की भावनाएं ताकत बनकर मौजूदा बाजारू मानसिकता में जन्म ले रही आत्मघाती सोच को वहीं खत्म कर देगी। जिन घरों में बच्चे युवा हो गए वे भी कहानियां लिखे। जो युवा से बुजुर्ग हो रहे हैँ उन्हें भी अपने माता पिता की यात्रा को अपने अनुभवों की अपनी कलम से अपनी आने वाली पीढ़ी को एक ग्रंथ के रूप में देना चाहिए।

रणघोष कहानियां लिखने में मदद करेगा, प्रकाशन करेगा

दैनिक रणघोष कहानी लिखने में ना केवल आपकी मदद, मार्गदर्शन करेगा साथ ही उसे प्रकाशित भी करेगा ताकि समाज में ये कहानियां एक दूसरे के लिए प्रेरणा, सीख एवं संस्कारों की धारा प्रवाह बनकर स्वच्छ एवं स्वस्थ्य परिवार, समाज एवं राष्ट्र में अपनी अग्रणी भूमिका निभाए। आप हमसे किसी भी समय मोबाइल नंबर 7206492978 पर संपर्क कर सकते हैं। अपनी कहानियों को ranghoshnews@gmail.com पर भेज सकते हैं। हमें आपकी कहानियों का इंतजार है कलम उठाइए  जीवन में बेहतर बदलाव के लिए। 

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