नगर निकाय चुनाव में रणघोष की कवरेज 100 प्रतिशत सही साबित हो रही है

कांग्रेस ने विक्रम यादव को मैदान मे उतारा, कप्तान पहले गेम प्लान में कामयाब, पहली उम्मीदवार होगी  जिसकी पहचान पति से नहीं


रणघोष खास. रेवाड़ी


नगर परिषद रेवाड़ी चेयरमैन पर कांग्रेस ने भी विक्रम यादव को विधिवत तौर पर मैदान में उतार दिया है। पांच दिन पहले पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव ने एलान किया था कि उम्मीदवार उनके परिवार  से नहीं होगा। रणघोष ने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि यह कप्तान का गेम प्लान है ताकि भाजपा एवं अन्य मजबूत दावेदारों को समय रहते भांपा जा सके। जैसे ही भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा की कप्तान ने मौके की नजाकत को भांपते हुए अपने बड़े भाई अजीत नंबरदार के बेटे रणविजय सिंह की पत्नी विक्रम यादव को मैदान में उतारने का एलान कर दिया। विक्रम यादव इसलिए मजबूत नजर आ रही है कि वह खुद महिला होने के नाते हर सवाल एवं विकास के एजेंडे को सामने रख रही है। अन्य दावेदारों में महिलाओं की पहचान अपने पति से हैं।  कुल मिलाकर इस सीट पर मुकाबला पूरी तरह से त्रिकोणीय हो गया है।

यहां बता दें कि कप्तान परिवार से विक्रम यादव पहली महिला उम्मीदवार है जो राजनीति मैदान में उतरी है। उनके पति रणविजय सिंह तहसीलदार है। वे भी सामाजिक तौर पर अपनी पहचान रखते हैं। ऐसा नहीं है कि विक्रम चुनाव में ही सक्रिय हुई है या पैराशूट से उतारी गई है। वह पिछले दो सालों से नप चुनाव को लेकर काफी सक्रिय रही है। हर सवाल के हाजिर जवाब देने में उनके पास गजब का उत्साह है। नगर परिषद के काम करने के तौर तरीकों से वह अच्छी तरह से वाकिफ है।

 पहला काम नगर परिषद मे भ्रष्टाचार की गंदगी को साफ करना

विक्रम यादव ने कहा कि अगर जनता उन्हें जिम्मेदारी देती है तो वह सबसे पहले नप में भ्रष्ट्राचार की गंदगी को साफ करेगी। सिस्टम में पारदर्शिता लाएगी। आवारा पशुओं, गंदगी, पार्क की बदहाली, अतिक्रमण जैसी अह्म समस्याओं को जन सहयोग से एक साल के भीतर खत्म कर देगी। बहुत कुछ करना है

सबसे बड़ी बात विक्रम यादव की पहचान पति से नही है

 इस चुनाव में वह पहली उम्मीदवार होगी जिसकी पहचान पति से नही है। वह खुद इतनी सक्षम है कि अपने निर्णय लेने की क्षमता रखती है। यह चुनाव में इस प्रत्याशी का यह सकारात्मक पक्ष रहेगा। विक्रम यादव ने भी  कटाक्ष करते हुए कहा कि जब यह सीट ही महिला के लिए आरक्षित है तो उम्मीदवार खुद सामने क्यों नही आ रही है। उनके पति इस सीट पर दावेदारी जता रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि सरकार ने महिला सशक्तिकरण को लेकर जो आरक्षण दिया था उसका मजाक बनाया जा रहा है। अभी से यह स्थिति है तो सोचिए आगे तो चेयरपर्सन के पद की गरिमा ही खत्म हो जाएगी। हमारी रेवाड़ी की जनता बेहद समझदार है। वह ऐसे उम्मीदवारों के छिपे एजेंडे केा समझ चुकी है। 

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