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उपमा यादव बेशक हार गई लेकिन शहर को मजबूत विपक्ष मिल गया


-आने वाले समय में इस शहर की राजनीति में उपमा यादव एक मजबूत विपक्ष के तौर पर भी जनता की आवाज बनेगी।


रणघोष खास. वोटर की कलम से


 नगर परिषद चेयरमैन पद के लिए भाजपा- कांग्रेज के दिग्गज प्रत्याशियों से सीधी टक्कर लेकर 23 हजार 878 वोट हासिल करने वाली आजाद प्रत्याशी उपमा यादव बेशक 2087 वोटों से चुनाव हार गई लेकिन जमीनी तोर पर उसका मैनेजमेंट पूरी तरह से जीत गया। उपमा यादव की बागडौर उनके पति पूर्व जिला प्रमुख सतीश यादव ने संभाल रखी थी जिसे पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास ने आशीर्वाद दे रखा था। सतीश यादव ने शुरूआत से ही अपनी रणनीति को सार्वजनिक नहीं होने दिया। एक कॉमन मैन की तरह सीधे लोगों से संपर्क साधा। किसके घर रोटी खानी है, नाश्ता करना है। मन की बात कर उसे अपने विश्वास में लेना है। शोर शराबे से दूर रहना है। बातचीत में आक्रमता नहीं विकास की बात करनी है। उपमा का चुनाव रजल्ट आने से पहले तक पूरी तरह से उठा हुआ लग रहा था। उपमा यादव 10 राउंड तक जबरदस्त मुकाबले में थी। ऐसा लग रहा था कि बाजी कभी भी पलट सकती है लेकिन यहां भाजपा ज्यादा नहीं बिखरना ही सतीश की हार की वजह बन गया। बेशक उपमा यादव हार गई लेकिन शहर में अपनी छाप जरूर छोड़ गईं। सतीश यादव इस चुनाव में एक नई छवि के तोर पर नजर आए जो भविष्य की राजनीति में उन्हें ताकत देने का काम करेगी। उपमा यादव समर्थकों ने हार की वजह की समीक्षा करते हुए बताया कि उन्हें कुछ वार्ड में भरोसे के नाम पर धोखा भी मिला है। कुछ वार्ड प्रत्याशियों ने इतना भरोसा दिलाया था कि वे एक दूसरे का साथ देंगे लेकिन वे अपनी जीत के लिए ऐन वक्त पर पाला बदल गए। दरअसल महज 2 हजार वोटों से उपमा यादव का हारना मौजूदा राजनीति हालातों में कोई मायने नहीं रखता। वजह उसका सामना दो दिग्गज प्रत्याशियों से रहा जिसमें भाजपा प्रत्याशी पूनम यादव के साथ सरकार और सबसे बड़ा संगठन खड़ा था। साथ ही केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अलावा  जिले के दो विधायक जिसमें एक कैबिनेट मंत्री डॉ. बनवारीलाल, कोसली विधायक  लक्ष्मण सिंह यादव एवं हरको बैंक के चेयरमैन अरविंद यादव, पूरी आरएसएस के साथ बूथ स्तर पर बना संगठन ताक्त बनकर खड़ा नजर आया। इसी तरह कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम यादव के लिए पूर्व मंत्री कप्तान अजय सिंह यादव की 30 साल की सफल राजनीति का नेटवर्क, यहां से विधायक चिरंजीव राव का अपना प्रभाव अपना काम कर रहा था। इतना ही नहीं भाजपा  की तरफ से मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट‌टर, पूर्व मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ स्टार प्रचारक बनकर आए तो कांग्रेस के लिए प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा एवं पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा ने भी विक्रम यादव के लिए वोट मांगे। इससे उलट उपमा यादव के पास स्टार प्रचारक के तोर पर पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास रहे। इस लिहाज से उपमा यादव विधिवत तौर पर चुनाव नहीं जीत पाई लेकिन जमीनी तौर पर अपनी मजबूत पहचान बनाने में जरूर कामयाब हो गईं। आने वाले समय में इस शहर की राजनीति में उपमा यादव एक मजबूत विपक्ष के तौर पर भी जनता की आवाज बनेगी। वह शहर की  तीसरी राजनीतिक शक्ति के तोर पर जरूर जगह बना गई है।

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