नरेश की मौत पुलिस में एफआईआर, मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज, डॉक्टर के लिए पोस्टमार्टम बनकर ना रह जाए

रणघोष खास. सुभाष चौधरी


रविवार रात रेवाड़ी शहर के अंबेडकर चौक पर एक ट्राले की टक्कर ने एक परिवार की जिंदगी को तहस नहस कर दिया। हादसे के शिकार स्कूटी सवार कपड़ा व्यापारी नरेश कुमार अपनी तीन बेटी, एक बेटे एवं पत्नी को छोड़कर चला गया। इस घटना ने सड़कों पर दौड़ रही मुर्दा इंसानियत,  बेलगाम ट्रैफिक व्यवस्था और बड़े वाहनों की शहर में अंदर बेधड़क एंट्री ओर मनमानी ने सबूतों के तौर पर सड़क को खून से लाल कर दिया। कुछ दिन बाद यह घटना भी सांत्वना, होनी को कौन  टाले, सभी को जाना है, उसका इतना ही समय लिखा था, परमात्मा इतनी परीक्षा किसी की ना ले जैसे मार्मिक शब्दों से निकले आंसुओं में बहकर भूला दी जाएगी। पुलिस के लिए यह दर्दनाक मौत एक एफआईआर, मीडिया के लिए ब्रेकिंग न्यूज, वकील के लिए केस, डॉक्टर के लिए पोस्टमार्टम, समाज- रिश्तेदारों के लिए शोक सभा, रस्म पगड़ी की परपंरा, हरिद्धार में पंडितों के बही खातों में एक नया नाम, आरोपी को कुछ समय के लिए जेल ओर बहुत कुछ..। रेवाड़ी शहर में नरेश कुमार जैसे ना जाने कितने लोगों की हर साल बड़े वाहनों की चपेट में आ जाने से मौत हो जाती है। इस पर कभी गंभीरता से अमल नहीं हुआ। रात 8 बजे के बाद शहर के सरकुलर रोड पर दैत्य की शक्ल में नजर आने वाले बड़े वाहनों की लंबी कतार यह बताने के लिए काफी है कि कानून  व्यवस्था के नाम पर खेल ज्यादा हो रहा है। एक अजीब सा डर रात को शहर की परिक्रमा लगाने वाले इस रोड पर दौड़ता रहता है। बड़े बड़े ट्राले, डंफर व ट्रकों में कुछ ऐसे होते हैं जो नशे का जहरनुमा पानी शरीर में डालकर  अपने ठिकाने से चलते हैं। हर चौराहे पर खड़े पुलिस कर्मचारी और ये वाहन चालक  इशारों में एक दूसरे पर मुस्करा कर आगे बढ़ जाते हैं। यह नई बात नहीं है। शहर की जनता में अपना विश्वास मजबूत करने में लगे नए पुलिस अधीक्षक दीपक सहारण ने जिस तरह ज्वैलर्स शोरूम को पिस्टल पर लूटने वाले आरोपियों को पकड़कर एक शानदार मिशाल कायम की। अब शहर में  दिन- रात दौड़ते बड़े वाहनों को लेकर वे सिस्टम को कितना मजबूत करते हैं यह देखने वाली बात होगी। अगर पुलिस प्रशासन ऐसा करने में कामयाब हो गया तो यहीं नरेश कुमार को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी

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