नारी सशक्तिकरण के लिये महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी : भूपसिंह भारती

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पटीकरा में संगोष्ठी का आयोजन डॉ मंगतराम की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यकार भूपसिंह भारती ने शिरकत की। संगोष्ठी का सफल संचालन करते हुए भूगोल प्रवक्ता डॉ सुषमा यादव ने महिलाओं की दुर्दशा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि आज महिलाओं को संविधान ने समानता का अधिकार दे रखा है, बस जरूरत है आधी आबादी को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने की। साहित्यकार भूपसिंह भारती ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि महात्मा ज्योतिबा फुले, माँ सावित्री बाई फुले ने भारत में सबसे पहले शूद्रों और नारियों के लिये 1848 में विद्यालय खोलकर उन्हें सशक्त बनाने का सफल प्रयास किया और डॉ भीमराव अंबेडकर ने संविधान में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देकर महिलाओं की सदियों पुरानी गुलामी की जंजीरों को काट डाला। डॉ अम्बेडकर ने नारी सशक्तिकरण के लिए संसद में हिन्दू कोड बिल लेकर साहित्यकार भूपसिंह भारती ने अपनी रचना “नारी” को पढ़ते हुए सुनाया कि “भीम ने आकर जगा दिया, आधे हक की अधिकारी को। पाँव की जुत्ती कहलाती थी, आज चूमे चाँद सितारों को।” भूपसिंह भारती ने कहा कि महिलाओं का शिक्षित होना सशक्तिकरण के लिये जरूरी है। प्रवक्ता डॉ संदीप यादव ने नारी सशक्तीकरण  के बारे में बताते हुए फूलनदेवी और भगवती देवी की जीवन गाथा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अत्याचार को मूक बनकर नहीं सहना चाहिए, उसका डटकर विरोध करना चाहिए। ललिता यादव ने भी महिला दिवस पर अपने विचार सांझा किये। अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ मंगतराम ने कहा कि समाज की उन्नति के लिये महिलाओं का योगदान अहम है। उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया। छात्राओ ने भी महिला दिवस पर अपने विचार रखे। इस मौके पर डॉ सुमन यादव, प्रवक्ता मनमोहन सिंह, वन्दना गजराज, कविता, गीता कालिया, सुभाषचंद, सरलादेवी, पूनम, सविता, सन्तोष व माधवी ए बी आर सी उपस्थित रहे।

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