नासा और स्पेसएक्स को लगे झटके ने किया साबित, अंतरिक्ष यात्रा अब भी बहुत कठिन

पिछले कुछ सालों से अंतरिक्ष उद्योग अपनी गति से आगे बढ़ रहा था. स्पेसएक्स  और नासा की जुगलबंदी ने कुछ नए उम्मीदें जगाई थीं. इसमें स्पेस एक्स के द्वारा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों को पहुंचाना, और नासा के आर्टिमिस अभियान के पहले चरण में सफलता के बाद हाल में भारत के चंद्रयान-3 की अभूतपूर्व सफलता के साथ आदित्य एल1 की सफल लॉन्चिंग ने दुनिया की दुनिया की उम्मीदें बढ़ा दी थीं. लेकिन हाल में अमेरिका की सराकरी एजेसियों ने नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम और स्पेसएक्स के स्टारशिप पर कुछ सवाल उठाए हैं जिससे अंतरिक्ष में सुगम यात्रा के सपने को एक झटका लगा है.

क्या है आपत्ति
अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट ने जहां नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम कार्यक्रम को बहुत महंगा बता दिया है तो वहीं अमेरिका की ही एक और सरकारी एजेंसी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन ने स्पेसएक्स की स्टारशिप पर पर्याप्त सुधार करने पर रोक लगा दी है. इससे तेजी से बढ़ रहे अंतरिक्ष क्षेत्र को एक बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है.

आर्टिमिस अभियान का हिस्सा
स्पेस लॉन्च सिस्टम और स्टारशिप दोनों ही नासा के आर्टिमिस कार्यक्रम का अहम हिस्सा हैं. इस अभियान के जरिए इंसानों को चंद्रमा पर ले जाने और वहां से सुरक्षित वापस पृथ्वी पर लैटा लाने की योजना है. आर्टिमिस-3 अभियान में चार अंतरिक्ष यात्री फ्लोरीडा के केनेडी स्पेस सेंटर के 39बी लॉन्च पैड से एसएलएस रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित होंगे.

अभियान पर भी होगा असर
इसके अलावा नासा ने स्पेसएक्स को चंद्रमा पर ह्यूमन लैंडिंग सिस्टम तैयार करने का जिम्मा सौंपा है जिसमें चंद्रयात्रियों को वापस लाना भी शामिल होगा. तो वहीं स्पेसएक्स को इसी सिस्टम को लॉन्च करने के लिए स्टारशिप विकसित करने का काम भी दिया गया है. लेकिन अब एसएलएस और स्टारशिप दोनों पर अलग-अलग वजह से सवाल उठने अभियान से पर असर हो सकता है.

बहुत महंगा है एसएलएस
जहां एसएसएस रॉकेट का सफल प्रक्षेपण हो चुका है और वह चंद्रम  केप स तक भारी पेलोड ले जा चुका है, इसके साथ समस्या उसकी लागत है. अमेरिका की गवर्नमेंट एकाउंटेबिलिटी ऑफिस की रिपोर्ट के अनुसार नासा के अधिकारियों का कहना है कि एसएलएस कार्यक्रम वहन करने योग्य नहीं  है यानि कि वह बहुत ही महंगा है. इतना ही नहीं रिपोर्ट में तो यह भी कहा गया है कि नासा के पास कार्यक्रम की सही लागत आंकने के लिए पर्याप्त उपकरण तक नहीं हैं.

निजी क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा
जीएओ और स्पेस एजेंसी के इंस्पेक्टर जर्नल दोनों ने ही एसएलएस के बजट के मुद्दे को साल 2014 में उठाया था. अब चूंकि बाजार में और भी ज्यादा निजी कंपनियां बेहतर और कारगर लॉन्च व्हीकल के साथ मैदान में उतर रही हैं तो ऐसे में नासा के एसएलएस की लागत के औचित्य पर सवाल उठना स्वाभाविक और लाजमी है. लेकिन ऐसा लगता है कि अभी कुछ समय के लिए तो नासा अपने आर्टिमिस अभियान पर काम जारी ही रखेगा.

स्पेस एक्स की स्टारशिप को किया खारिज
लेकिन वहीं स्पेस एक्स के साथ कुछ और ही समस्या है. स्टारशिप अभी तक ना केवल एक सफल अभियान तक नहीं दे सका है, बल्कि अप्रैल में हुए उसके पहले प्रक्षेपण के कुछ क्षणों के बाद ही उसमें विस्फोट हो गया था. एलन मस्क ने उस समय कहा था कि प्रयोग सफल रहा क्योंकि उससे काफी सबक ले लिए गए थे. तब मस्क ने कहा था कि स्टारशिप अगले प्रक्षेपण के लिए तैयार है लेकिन एफएए की अनुमति का इंतजार है.

लेकिन अब एफएए ने स्पेसएकस की स्टारशिप के प्रक्षेपण को तब तक खारिज कर दिया है जब तक स्पेस एक्स उसमें सुझाए गए 63 सुधार नहीं कर लेती है. अब स्पेस एक्स को इन पर काम करना होगा  और लाइसेंस के लिए फिर से आवेदन करना होगा जिसके बाद ही परीक्षण हो सकेगा. इस दोनों घटनाओं से अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए एक झटका माना जा रहा है. लेकिन दुनिया के बाकी देश अपनी गति से इस दिशा में काम कर रहे हैं.

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