नूंह से सुभाष चौधरी की ग्राउंड रिपोर्ट

 साइबर क्राइम का अडडा बने नूंह में शिक्षा अधिकारी बने डैकेत, दो दबोचे, कई निशाने पर


रणघोष अपडेट. नूंह


ऑनलाइन ठगी साइबर क्राइम के बाद अब मेवात बना शिक्षा के दलालों (शिक्षा अधिकारियों) का फेवरेट अड्डा बनता जा रहा है। पढ़ने में कुछ अटपटा व अशोभनीय लग सकता है परंतु है शत प्रतिशत  सही खबर है। कहने को हरियाणा गठन के बाद शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे पिछडा नूंह प्रदेश का सबसे बीमारू जिला है। परंतु अगर बुद्धि कौशल की बात करें तो यह  जिला हरियाणा ही नहीं अपितु भारत भर में साइबर ठगी ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले मे नंबर वन पर है। थोड़ा इतिहास में जाए  तो जिला मेवात (नूंह) अपनी भौगोलिक परिस्थितियों तथा सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक कारणों तथा हिंदू-मुस्लिम गुटबाजी के कारण विकास में सदैव ही पिछड़ा रहा है जिस कारण बेरोजगारी एवं भुखमरी बढ़ी है। इसी वजह से यहां लोगों ने मजबूरीवश ही सही जीवन यापन के लिए चोरी, डकैती, फिरौती, अपहरण गलत रास्ते अख्तियार कर लिए। वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रसांगिक ऑनलाइन साइबर फ्रॉड क्राइम धोखाधड़ी। पिछले दिनों घटित हुई अब दो खबरों ने इसकी रही सही मर्यादों को भी तार तार कर दिया है। 2 जनवरी को नूह मेवात जिला के जिला शिक्षा अधिकारी रामपाल धनखड़ को ड्यूल डेस्क खरीद मामले में एक लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों विजिलेंस टीम ने पकड़ा। दो दिन बाद ही  मेवात के ही खंड तावडू के जिला शिक्षा अधिकारी रमेश मलिक को विजिलेंस के द्वारा ड्यूल डेस्क खरीद में ठेकेदार से रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। अब जल्द ही कई चपेट में आने वाले हैं।  जब बाड़ ही खेत को खाएगी तो कैसे काम चलेगा। इन मामलों साफ हो रहा है कि  शिक्षा को असल खतरा किस से है। सूत्रों की माने तो पूरे हरियाणा भर में ही हर जिले से कोई ना कोई शिक्षा अधिकारी रिश्वतखोरी का खुला खेल खेल रहा है तभी गुणवत्ता परक शिक्षा रसातल में पहुंच गई है। विजिलेंस के पास जो जानकारियां पहुंच रही है।हर छोटे से लेकर बड़े स्तर तक का अधिकारी छिटपुट से लेकर बड़े से बड़े स्तर तक की वसूली करने में मशगूल है। जितने बड़े स्तर का अधिकारी उतना ही बड़ा खेल। वसूली के लिए शनिवार को भी विद्यालयों में योजना के तहत रेड मारी जाती है। सुबह विद्यालय खुलने के लगभग 15 मिनट पहले पहुंचना वशाम को विद्यालय बंद होने से 15 मिनट पहले। सीधा हाजिरी रजिस्टर को अपने कब्जे में लेकर यह देखते हैं कि कौन शिक्षक आज विद्यालय देरी से आया है तथा कौन शिक्षक विद्यालय से समय से पहले चला गया।उसको सीधा विभागीय नोटिस भेजकर मुख्यालय बुलाया जाता है। उसके बाद अपनी इच्छा या उसकी हैसियत अनुसार रुपए 2000 से लेकर 10000 तक मामले को वहीं की वहीं रफा-दफा कर देते हैं। कुछ पीड़ित शिक्षकों ने बताया कि सरकार की ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी को धत्ता बताते हुए  मेवात के शिक्षा अधिकारी ऑनलाइन तबादला होकर आए हुए शिक्षकों की मर्जी के खिलाफ भी उन्हें मेवात के दूर-दराज तक तथा कठिनतम स्टेशनों पर भी उनकी मर्जी के खिलाफ भेज रहे हैं।पुनःसमायोजन के नाम पर उनसे 15 हजार से 25 हजार प्रति व्यक्ति के हिसाब से कई सौ लोगों से वसूल चुके हैं। ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हो रहा है ऐसे अधिकारियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी से लेकर सभी स्तर के अधिकारी अपने अपने अनुभव अपनी अपनी इच्छा या अपनी अपनी औकात के अनुसार यह खेल खेल रहे हैं। या यूं कहें कि सारे मिलकर शिक्षा विभाग की गरिमा को तहस नहस कर रहे हैं। इस तरह से मनचाहे अनचाहे एडजस्टमेंट होने लगे तो फिर हरियाणा सरकार की महत्वकांक्षी ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी जिसको अन्य कई राज्यों में भी फॉलो किया जा रहा है उस पॉलिसी का मजाक उड़ाया जा रहा है।

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