-बेटा हुआ तो महिला के लिए यह कथित महात्मा चमत्कारी संत, बेटी हुई तो पति के लिए दिव्य संत। दोनो वचन से बंधे हैँ, चाहकर भी पोल नहीं खोल पाएगे। यही काम आज देश का मीडिया कर रहा है।
रणघोष खास. प्रदीप नारायण
इन दिनों धर्म के बाजार में आशीर्वाद ओर मीडिया की दुकानों पर एग्जिट पोल ब्रांड से बिक रही भविष्यवाणी ने दिल्ली के आजादपुर में स्थित एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी को भी फेल किया हुआ है।
देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले एग्जिट पोल के नाम से मीडिया जो दिखाता है। यह ठीक उसी तरह है जिस तरह गर्भवती महिला के कान में बाजारू महात्मा बेटा होने का मंत्र सुनाकर किसी को नहीं बताने का संकल्प दिलाता है। यही तरीका वह उसके पति के कान में बेटी होने की बात कहकर इसे किसी से शेयर नहीं करने का वचन लेता है। जाहिर है बेटा या बेटी में किसी एक का होना स्वाभाविक है। बेटा हुआ तो महिला के लिए यह कथित महात्मा चमत्कारी संत बन जाएगा। बेटी हुई तो उसके पति के लिए यह दिव्य संत। भविष्यवाणी पर शक इसलिए नहीं होगा पति- पत्नी अपने वचन से बंधे होने की वजह से चाहकर भी ऐसे पांखड़ियों की पोल नहीं खोल पाएगे। यही काम आज हमारे देश का मीडिया कर रहा है। जब देश की जनता ने मतदान कर दिया। रजल्ट का इंतजार है। इसी बीच अनुमान- भविष्यवाणी का इतना बड़ा बाजार खड़ा करके बाजारू मीडिया आखिर सच- निष्पक्ष एवं विश्वसनीयता के नाम पर क्या बेचना चाहता है। क्या सूचनाएं अनुमान की चासनी से तैयार होती है। कमाल देखिए 24 घंटे एग्जिट पोल के नाम पर डिबेट की आग बरस रही है। सूचनाओ को ब्यूटी पार्लर में सजाकर कर बाजार में बेच रहे न्यूज एंकर शब्दों की जादूगरी से ऐसा मायाजाल बनाता है मानो नतीजों से पहले रिपोर्ट ईवीएम मशीनों से निकलकर उनके हाथों में आ गई हो। एग्जिट पोल के साथ सटटा बाजार का तड़का लगाकर मतदाताओं के वोटों की उसी तरह हैसियत बनाई जाती है जिस तरह लाड प्यार में बिगड़ी औलाद बड़ी होने पर सबसे पहले अपने माता पिता को तौर तरीकों से रहने की नसीहत देती है। सबकुछ समझते ओर जानते हुए भी देश के इस बाजार में वह सबकुछ बिक रहा है जिसमें मर्यादा, विश्वसनीयता बदहवास होकर खुद को बचाने के लिए इधर उधर भाग रही है। कोई है जो इसे बचाने के लिए आगे आए..।