बीजेपी को हराने के लिए ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ में जुटेंगे किसान!

रणघोष अपडेट. देशभर से

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे किसान अब ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ के लिए जुटने जा रहे हैं। इस मिशन के तहत किसान इन दोनों राज्यों में बीजेपी को हराने की अपील करेंगे। बता दें कि हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भी किसानों ने इन चुनावी राज्यों का दौरा किया था और बीजेपी को वोट न देने की अपील की थी। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और उत्तराखंड में तराई के इलाक़े में किसान आंदोलन के कारण सियासी माहौल ख़ासा गर्म है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नेताओं का अपने ही गांवों में निकलना मुश्किल हो गया है और किसान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने का इंतजार कर रहे हैं। दोनों ही राज्यों में सात महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार है। 5 सितंबर को मुज़फ्फ़रनगर में आंदोलन किया जाएगा और यह ‘मिशन यूपी-उत्तराखंड’ का ही हिस्सा है। कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन की क़यादत कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि मोर्चा के नेता इस दौरान लोगों के बीच में पहुंचेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने इकनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में कहा, “सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। चुनाव अभी दूर हैं और हम आंदोलन तेज़ करेंगे, हम लोग 5 सितंबर के कार्यक्रम की तैयारियां कर रहे हैं।”

किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने कहा है कि जिस तरह किसानों ने पंजाब और हरियाणा में बीजेपी के नेताओं का विरोध किया है ठीक उसी तरह हम उत्तर प्रदेश में भी करेंगे। बीजेपी जानती है कि पंचायत चुनाव में किसानों के विरोध के कारण उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ख़ासा सियासी नुक़सान हुआ है। यहां वह एसपी-आरएलडी के गठबंधन व निर्दलीयों से भी पीछे रही थी।किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहा कहते हैं कि हम लोगों को बताएंगे कि किसान पिछले आठ महीनों से दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे हुए हैं और यह बात उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की बीजेपी सरकारों के ख़िलाफ़ माहौल बनाने का काम करेगी। इस बीच, किसान नेता 22 जुलाई से संसद भवन के पास धरना देने की योजना बना रहे हैं क्योंकि 19 जुलाई से संसद का सत्र शुरू हो रहा है।

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