– तावडू के आशीष गुप्ता पुत्र किशन लाल गुप्ता की शिकायत पर हुई कार्रवाई
रणघोष अपडेट. भिवाड़ी. राजस्थान से
भिवाड़ी स्थित चौपानकी पुलिस स्टेशन में हरियाणा के जिला नूह के क्षेत्र तावडू निवासी आशीष गुप्ता पुत्र किशन लाल गुप्ता की शिकायत पर पुलिस ने इंडियन बैंक (भूतपूर्व इलाहाबाद बैंक ) सेक्टर 4 गुरुग्राम से संबंधित 8 अधिकारियो के खिलाफ धोखाधड़ी करना , विश्वासघात करना , साजिश व जालसाजी करना व झूठे साक्षय पेश करके शिकायतकर्ता की खेती की जमींन (जिसका बाज़ार मे कीमत करीब 10 करोड़ रुपए है) को हड़पना और शिकायतकर्ता को गलत तरीके गारंटर बनाकर नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया है। जिन अधिकारियों पर यह मामला दर्ज किया है उसमें तत्कालीन एजीएम कर्ण सिंह, सीनियर मैनेजर एचसी राघव, एजीएम मिथलेश कुमार, डीजीएम राहुल श्रीवास्तव, सीनियर मैनेजर ईशा वर्मा, सीनियर मैनेजर रजत गुप्ता, एजीएम एनसी नेहरा एवं मैनेजर आशीष जिंदल शामिल है। शिकायतकर्ता आशीष गुप्ता माँ संतोषी मार्बल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में निर्देशक है। उनकी कंपनी माँ संतोषी ग्रिट उद्योग में पार्टनर है। माँ संतोषी ग्रिट उद्योग में पार्टनरशिप डीड 12 मार्च 2003 के अनुसार 4 पार्टनर है। जिसमें एन के गुप्ता, बी के गुप्ता, सुधा गुप्ता व माँ संतोषी मार्बल्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल है।
इस आधार पर बैंक अधिकारियों पर दर्ज हुई एफआईआर
शिकायतकर्ता का आरोप है की उक्त बैंक ने उनकी पार्टनरशिप फर्म माँ संतोषी ग्रिट उद्योग की कृषि भूमि को बिना हमारी अनुमति व सहमति के अपने पास गलत जालसाजी धोखाधड़ी व गलत तरिके से अपने पास गिरवी रख लिया। बैंक ने मेवात ग्रिट उद्योग पार्टनरशिप फर्म को 35.98 करोड़ रुपए की लोन सुविधा अपने स्वीकृति पत्र दिनांक 29.10.2009 के अनुसार दी थी परन्तु बैंक ने धोखा धड़ी व गलत नियत से हमारी फर्म माँ संतोषी ग्रिट उद्योग की उपरोक्त चारो कृषि भूमि को 26 अक्टूबर .2009 को हमारी कंपनी की मंजूरी लिए बिना ही गिरवी रख लिया था। बैंक के नियमानुसार जब बैंक किसी सम्पति को बंधक रख करके कोई ऋण देता है उस सूरत में बैंक द्वारा Recital रजिस्टर तैयार किया जाता है जिसमे बंधक कि गई सम्पति का पूरा ब्यौरा लिखा जाता है जबकि उक्त कर्ज में बैंक द्वारा ऐसी कोई कार्यवाही नहीं कि गई है। इसके अलावा उपरोक्त बैंक ने बंधक सम्पतियो के बाबत CERSAI में कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है जो कि कानून के नियम के खिलाफ है व बैंक अधिकारियो कि शुरू से ही उक्त सम्पति जो कि पारा न ०-4 में वर्णित है को हड़पने के मंशा व नियत को दर्शाता है। शिकायत में बताया की बैंक ने कृषि भूमि को फ्रॉड तरिके से वाणिज्यिक सम्पति बताकर एक्विटेबले मॉर्गेज कर लिया जो नियमानुसार गलत है। और कृषि भूमि पर SARFAESI Act भी लागू नहीं होता परन्तु बैंक व उसके अधिकारियो ने गलत मंशा और फ्रॉड तरिके से सभी नियमो को नजर अंदाज करते हुए हमारी फर्म की सभी सम्पतियो पर कब्ज़ा कर लिया।, 17 मई .2008 में चालान के जरिये कन्वर्ट कराने के लिए पैसे जमा करे। वह प्रक्रिया विचाराधीन है तथा यूआईटी के पास चल रही है। यूआईटी ने कुछ जमीन रIस्ते के लिए सरेंडर करा कर , बाकी जमीन अपने कब्जे में ले ली है तथा कन्वर्शन प्रक्रिया जारी है। 29 अक्टूबर .2009 के अनुसार हमारी कंपनी ने कोई कॉर्पोरेट गारंटी भी नहीं दी थी उसके बावजूद भी बैंक ने जबरन और फ्रॉड तरिके से हमारी कंपनी के बोर्ड रेसोलुशन के बिना हमारी कंपनी की गारंटी ले ली इसीलिए बैंक ने आरओसी (Registrar of Company) में इस लोन को रजिस्टर नहीं करवाया। जो कानून की नजर में गलत है। 14 मार्च .2011 को मेवात ग्रिट उद्योग पार्टनरशिप को ऐन के बी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कन्वर्ट कर दिया और उसके लोन को भी बैंक ने कंपनी के नाम पर स्थांतरण कर दिया गया। और समय समय पर लोन की सविधा को अपने स्वीकृति पत्र के अनुसार बढ़ाया गया और सभी दस्तावेजों को भी समय समय पर स्वीकृति पत्र के अनुसार निष्पादित किया गया परन्तु बैंक हमेशा फ्रॉड तरिके से सम्पति को गिरवी रखने की वास्तविक तारीख हर बार गलत बताई। शिकायत में यह भी बताया की लोन सुविधा को बैंक ने 30 जून.2014 को एनपीए (Non Performing Assest) घोषित कर दिया परन्तु इसके जानकारी हमारी कंपनी व हमारी पार्टनरशिप फर्म को नहीं दी तथा नियमो को नजरअंदाज करते हुए इस लोन खाते को आगे बढ़ाते गए और एन के बी के लोन खाते को बैंक ने स्वीकृति पत्र 29 सितंबर .2014 के आधार पर पुनर्गठन किया परन्तु स्वीकृति पत्र की नियम व शर्तो की अनुपालना नहीं की जिसके कारण वह उसी दिन दोबारा एनपीए (30.09.2014) हो गया। बैंक ने उधारकर्ता कंपनी और शिकायतकर्ता से लोन खाते की वास्तविक स्थिति को छुपाया और अपने आप को तथा बैंक को फायदा पहुंचाने के लिए शिकायतकर्ता की पार्टनरशिप फर्म की सम्पति को गिरवी रख लिया । बैंक के अधिकारियों द्वारा अपनी मनमर्जी से कृषि भूमि को गिरवी रखा गया परन्तु सर्फेसी एक्ट के अनुसार बैंक कृषि भूमि को साम्यिक बंधक में नहीं रख सकता और ना ही सर्फेसी एक्ट के अनुसार कृषि भूमि पर कोई कार्यवाही कर सकता है परन्तु बैंक और उसके अधिकारियो ने नियमों की परवाह ना करते हुए कृषि भूमि को अपने कब्जे में ले लिया। बैंक ने शिकायतकर्ता से हमेशा तथ्यो को छुपाया और यह नहीं बताया की कंपनी का खIता जिसके लिए शिकायतकर्ता की पार्टनरशिप फर्म की सम्पति को गिरवी रखा है वह तो 18 महीने पहले ही एनपीए (30 जून.2014) हो चूका था। बैंक व उसके अधिकारियो ने शिकायतकर्ता से झूठे आकड़े पेश करके व झूठ बोलकर हमारी प्रॉपर्टी को हड़पने की कोशिश की है। जो की कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के नियमो के खिलाफ है और कानून की नजर में गलत है। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में 19 बिंदुओं के आधार पर बैंक के अधिकारियों पर गंभीर आरोप साक्ष्यों के साथ लगाए हैं। जिसके आधार पर यह मामला दर्ज हुआ है।