रणघोष अपडेट. एमपी से
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित भय्यू महाराज सुसाइड केस में शुक्रवार को कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुना दिया। भय्यू महाराज की शिष्या, सेवादार और ड्राइवर को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी करार देते हुए कोर्ट ने तीनों को छह-छह साल की जेल की सजा सुनाई है।इंदौर जिला कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र सोनी ने शिष्या पलक, मुख्य सेवादार विनायक और ड्राइवर शरद को दोषी ठहराया है। तीन साल चले सुनवाई के लंबे दौर के बीच सेवादार विनायक ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने विनायक की जमानत के लिए प्रस्तुत अर्जी के बाद निर्देशित किया था कि इंदौर जिला अदालत इस मामले को 6 महीने में खत्म करे, लेकिन कोरोना के कारण सर्वोच्च न्यायालय को केस के निपटारे के लिए 6 महीने का समय पुनः देना पड़ा था।भय्यू महाराज मामले में 32 गवाह कोर्ट के समक्ष पेश किए गए। भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी, बेटी कुहू और बहन समेत डॉक्टर पवन राठी के बयान भी हुए। जांच के दौरान तत्कालीन सीएसपी और पूरे मामले की जांच के अधिकारी सुरेंद्र सिंह ने कहा था कि महाराज के पास से पुलिस ने एक डायरी बरामद की है। इस डायरी में महाराज ने लिखा था, ‘जीवन से परेशान हूं, इसलिए जीवन छोड़ रहा हूं।’डायरी में भय्यू महाराज ने आरोपी विनायक को विश्वासपात्र बताया था। सुरेंद्र सिंह ने यह भी स्वीकारा था कि मामले में जांच के तहत कुछ लोगों के बयान दर्ज किए थे। इनमें से किसी ने भी आरोपियों पर शक नहीं जताया था। आत्महत्या वाली घटना के 6 माह बाद पुलिस ने विनायक, शरद और पलक को आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार किया था। घटना के 6 माह तक किसी पर भी कोई आरोप नहीं लगा था। पूरे मामले में भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी ने कोर्ट के समक्ष पेश होने के लिए कई बार अलग-अलग दलीलें पेश की थीं। आरोपी पक्ष द्वारा सबसे लंबा क्रॉस एग्जामिनेशन आयुषी का ही किया गया था।