रणघोष अपडेट. पश्चिम बंगाल से
शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की ममता बनर्जी की याचिका पर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद इस मामले की सुनवाई कर रहे जज के कथित राजनीतिक रुझान को लेकर है। कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर ममता बनर्जी की याचिका को जस्टिस कौशिक चंद की बेंच के पास भेजा गया।
क्या कहा है डेरेक ओ ब्रायन ने?
लेकिन तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने दावा किया है कि कौशिक चंद इसके पहले बीजेपी की ओर से कई मामलों में वकील के रूप में पैरवी कर चुके हैं।उन्होंने ट्वीट कर इसकी जाननकारी दी है। उन्होंने एक सूची जारी की है। इसके मुताबिक़, कौशिक चंद ने मुहम्मद अमीन व अन्य बनाम भारतीय जनता पार्टी व अन्य के मामले में 26.09.2018 को बीजेपी की ओर से पैरवी की थी।
- भारतीय जनता पार्टी व अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य के मामले में कौशिक चंद 04.04.2012 और 10.08.2012 को बीजेपी की ओर से अदालत में पेश हुए थे।
- भारतीय जनता पार्टी व अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य व अन्य के एक दूसरे मामले में वे 04.02.2013, 11.02.2013, 24.08.2012 और 25.02.2013 को बीजेपी की ओर से अदालत में पैरवी करने गए थे।
- कौशिक चंद भारतीय जनता पार्टी व अन्य बनाम पुलिस कमिश्नर व अन्य के मामले में 25.11.201 को उन्होंने बीजेपी की पैरवी की थी।
- इस तरह के कई मामले हैं, जिनमें कौशिक चंद ने बीजेपी की पैरवी की थी।
- तसवीर का सच!
डेरेक ओ ब्रायन ने एक दूसरा ट्वीट किया है, जिसके साथ एक तसवीर लगाई गई है। यह तसवीर पश्चिम बंगाल बीजेपी के लीगल सेल के एक कार्यक्रम की है।
इसमें पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष के बगल में बैठे एक व्यक्ति के बारे में डेरेक ओ ब्रायन ने सवाल किया है कि क्या वे जस्टिस कौशिक चंद ही हैं?
प्रशांत भूषण ने कहा, चौंकाने वाला
डेरेक ओ ब्रायन के ट्वीट को मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने रिट्वीट किया है और उसके साथ लिखा है- यदि यह सच है तो चौंकाने वाला है।तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने प्रशांत भूषण के रिट्वीट को रिट्वीट किया है। उन्होंने इसके साथ ही अपनी प्रतिक्रिया भी जोड़ी है। उन्होंने तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है, महामहिम, अंतरात्मा की आवाज़ सुनिए या इससे बेहतर आवरण से खुद को ढकिए।बता दें कि ममता बनर्जी के बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी के निर्वाचन को रद्द करने की माँग वाली याचिका पर सुनवाई गुरुवार को हुई, लेकिन ममता बनर्जी के मौजूद न रहने से यह टल गयी है। अब इस मामले में सुनवाई 24 जून को होगी।
क्या है याचिका में?
ममता बनर्जी ने याचिका में कहा है कि अधिकारी के निर्वाचन को तीन कारणों से निरस्त कर दिया जाना चाहिए। ये तीन कारण हैं- घूसखोरी समेत भ्रष्टाचार में लिप्त, नफ़रत और शत्रुता को बढ़ावा देना, धर्म के आधार पर वोट माँगना और बूथ पर कब्जा करना। इसके अलावा मतगणना की प्रक्रिया में गड़बड़ी और फ़ॉर्म 17 सी का पालन नहीं करने के आरोप भी लगाए गए हैं। इसमें वोटों की गिनती का रिकॉर्ड रखा जाता है।