मेरे देश में मेरा पीएम असुरक्षित है कोई बताए हम कहां जाए..

क्या चुनाव जीतना राष्ट्र की प्रभुसता से बड़ा हो गया है। अगर यह सोच वाकई राजनीति करने वालों के दिलों दिमाग में आ चुकी है तो समझ जाइए हमें खतरा  चीन- पाक की नापाक हरकतों से नहीं अपने नेताओं की घृणा, स्वार्थी एवं लालच में डूबी सत्ता की टपकती लार से निकल रहे खून से हैं जो किसी दुश्मन का नहीं अपनों का है..।


eqwewqeweरणघोष खास. प्रदीप नारायण


यह समझना बहुत जरूरी हो गया है कि आम आदमी ओर खास आदमी की जान में कौनसी बेशकीमती है ओर कौनसी सस्ती..।  इंसानी जमात होने की वजह से दोनों के घरों में माता-पिता, पत्नी भाई, भरा पूरा परिवार समाज है। किसी के बिछुड़ने का दर्द भी वैसा ही होता है जैसा सभी को महसूस होता है। आम आदमी को अपनी सुरक्षा खुद करनी होती है ओर खास के लिए आम आदमी की कमाई का कुछ हिस्सा लेकर उसकी सुरक्षा पर खर्च किया जाता है। वजह खास आदमी आगे चलकर आम आदमी की सुरक्षा की गारंटी लेता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसे शासन व्यवस्था कहते हैं। चुनावी मौसम में पंजाब पहुंचे पीएम नरेंद मोदी की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस लापरवाही का असल सच कभी सामने नहीं आएगा। बस वोट बैंक के हिसाब में अलग अलग जांच रिपोर्ट के हवाले से इस पर तब तक हल्ला मचता रहेगा जब तक चुनाव परिणाम सामने नहीं आ जाए। क्या कोई बता सकता है कि कुछ माह पहले पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के लिए हुई हिंसा के तांडव में बहे बेगुनाहों के खून के असली कातिल कौन है। हमें डर इस बात का है कि पीएम की सूरक्षा में चूक के नाम पर वोट बैंक हथियाने के लिए  सड़कों पर दौड़ पड़ी भीड़ कहीं बेगुनाह आमजनों का खून ना बहा दे। ऐसा होना ओर करना हमारी राजनीति का अब चरित्र बन चुका है। चुनाव में किसी नेता का पहला धर्म कुर्सी हथियानें के लिए तमाम मर्यादाओं का चीरहरन करते हुए आगे बढ़ना होता है। देश के सबसे ताकतवर ओर हर लिहाज से सुरक्षित देश के मुखिया का पंजाब अधिकारियों से यह कहना अपने सीएम को थैंक्स कहना वे सुरक्षित लौट आए हैं। इन शब्दों ने मौजूदा हालात की तस्वीर पेश कर दी है। इस टिप्पणी के बाद एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में लगे पक्ष- विपक्ष के जिम्मेदार नेता- प्रवक्ता अपने आकाओं को खुश करने के प्रयास में यह क्यों भूल गए कि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री है। उनकी सुरक्षा में खतरे का मतलब 1.37 अरब की जनसंख्या पार कर चुके  भारतीयों में ऐसे डर का जन्म होना जिसकी अब कोई गारंटी नहीं बची है। पीएम पर भारतवासियों की सुरक्षा- एकता- अखंडता का जिम्मा होता है। अगर वहीं पीएम यह कहे कि वे अपने देश में ही  जिंदा लौट आए समझ जाइए हम किस माहौल में आ चुके हैं। क्या चुनाव जीतना राष्ट्र की प्रभुसता से बड़ा हो गया है। अगर यह सोच वाकई राजनीति करने वालों के दिलों दिमाग में आ चुकी है तो समझ जाइए हमें खतरा  चीन- पाक की नापाक हरकतों से नहीं अपने नेताओं की घृणा, स्वार्थी एवं लालच में डूबी सत्ता की टपकती लार से निकल रहे खून से हैं जो किसी दुश्मन का नहीं अपनों का है..।

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