मोदी की सुरक्षा में चूक की गाज; पंजाब के डीजीपी चट्टोपाध्याय व फिरोजपुर के एसएसपी हटाए, वीके भवरा नए डीजीपी

शनिवार को पंजाब विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने नए पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। 1987 बैच के आईपीएस विरेश कुमार भवरा नए डीजीपी होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे दौरान हुई सुरक्षा चूक के सवालों से घिरे कार्यवाहक डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को पद से हटाया गया है। इसके साथ ही फिरोजपुर के एसएसपी हरमनदीप को भी हटा दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे के समय हुई सुरक्षा चूक को लेकर डीजीपी चट्टोपाध्याय समेत फिरोजपुर के एसएसपी सवालों के घेरे में थे। चट्टोपाध्याय 31 मार्च 2022 को रिटायर हो रहे हैं। केंद्र सरकार की टीम ने भी राज्य की पुलिस पर प्रधानमंत्री के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम न करने का आरोप लगाया था। इसलिए उन्हें पद से हटा दिया गया है। फिरोजपुर में अब नरिंदर भार्गव को एसएसपी लगाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे के दौरान सुरक्षा प्रबंधों में चूक सामने आई थी। प्रधानमंत्री का काफिला करीब 20 मिनट तक फिरोजपुर में एक फ्लाईओवर पर रुका रहा था। उस दौरान काफिले के पास काफी लोग पहुंच गए थे। इस मामले के कुछ वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। प्रधानमंत्री ने बठिंडा एयरपोर्ट पर अधिकारियों से कहा था कि अपने मुख्यमंत्री को कह देना कि वह यहां तक जिंदा पहुंच गए। इसके बाद सूबे में सियासी बवाल खड़ा हो गया था। संघ लोक सेवा आयोग ने 4 जनवरी को पंजाब में स्थायी डीजीपी लगाने के लिए 3 अफसरों के नाम का पैनल भेजा था। सूत्रों की मानें, तो गुरुवार और शुक्रवार की रात 1 बजे तक सीएम चन्नी, डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा, मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी और गृह विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अनुराग वर्मा के बीच इस मामले पर लंबी चर्चा के बाद भी डीजीपी के नाम का फैसला नहीं हो पाया था। आखिरकार शनिवार दोपहर को मुख्यमंत्री चन्नी ने वीके भवरा के नाम की फाइल पर दस्तखत कर दिए। यूपीएससी के पैनल में 1987 बैच के आईपीएस दिनकर गुप्ता और वीके भवरा के साथ 1988 बैच के प्रबोध कुमार शामिल थे। दिनकर गुप्ता गृह विभाग को पहले ही लिखकर दे चुके हैं कि वह डीजीपी बनने के इच्छुक नहीं हैं। वहीं, प्रबोध कुमार बेअदबी कांड में असरदार कार्रवाई न कर पाने को लेकर राज्य सरकार के पसंदीदा अफसरों की सूची से पहले ही बाहर थे। दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार दोनों ने ही केंद्रीय डेपुटेशन पर जाने की इच्छा जताई थी।

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